
विश्वास पाटील के उपन्यास दुड़िया की समीक्षा
'पानीपत', 'महानायक' और 'झाड़ाझड़ती' जैसे अहम उपन्यास लिखने वाले मराठी के लोकप्रिय लेखक विश्वास पाटील ने नए उपन्यास के साथ दस्तक दी है. बेशक विश्वास पाटील मराठी में लिखते हैं, लेकिन उनके उपन्यास अधिकतर भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुके हैं. यह पहला मौका है जब उनका कोई उपन्यास मूल मराठी भाषा से पहले हिंदी में आया है. विश्वास पाटील का कहानी कहने का तरीका और उसके पीछे की रिसर्च हमेशा काबिलेतारीफ रही है. वह विषय को इस तरह उठाते हैं, जिसमें कहानी का रस तो रहता ही है साथ ही तथ्यों से छेड़छाड़ कतई नहीं होती है. यही बात उन्हें खास बनाती है. हाल ही में उनका उपन्यास 'दुड़िया: तेरे जलते हुए मुल्क में' आया है.
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'दुड़िया' उपन्यास नक्सलवाद की समस्या पर केंद्रित है. यह उपन्यास गांवों और उनके लोगों की दशा का तो वर्णन करता ही है, इसके साथ ही नक्सलवाद की असल समस्या और उससे किस तरह लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है, उसे भी दिखाता है. यह कहानी छत्तीसगढ़ की दुड़िया की है. जिसमें दुड़िया की नजर से कथ्य को पेश किया गया है और दिखाया गया है कि कैसे प्राकृतिक संपदा से संपन्न यह राज्य मानव निर्मित एक विकट समस्या से जूझ रहा है.
विश्वास पाटील मराठी के लेखक हैं तो इस उपन्यास को मराठी से हिंदी में रवि बुले ने अनुवाद किया है. अनुवाद के साथ सबसे बड़ी समस्या यह रहती है कि मूल कृति की आत्मा बनी रहे. इस बात का रवि बुले ने पूरा ध्यान रखा है. वह खुद भी एक कहानीकार और फिल्म निर्माता हैं ऐसे में उन्होंने उपन्यास की भाषा और उसके कथ्य में तारतम्य बिठाते हुए कृति का अनुवाद किया है. दुड़िया अपनी भाषा, कथ्य और शैली तीनों वजह से पठनीय उपन्यास है.
उपन्यास: दुड़िया
लेखक: विश्वास पाटील
अनुवादक: रवि बुले
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
कीमत: 250 रुपये (पेपरबैक)