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This Article is From Dec 14, 2015

चर्चा, असहमति और निर्णय से चलनी चाहिए संसद, बाधा पैदा न की जाए : राष्ट्रपति

चर्चा, असहमति और निर्णय से चलनी चाहिए संसद, बाधा पैदा न की जाए : राष्ट्रपति
कोलकाता: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि संसद चर्चा, असहमति और निर्णय से चलनी चाहिए, न कि बाधा उत्पन्न की जानी चाहिए।

महामहिम ने यहां कलकत्ता विश्वविद्यालय शताब्दी हॉल में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की याद में अपने संबोधन में कहा, 'तीन डी हैं जिनसे संसद चलती है। ये हैं--डेबेट (चर्चा), डिसेंट (असहमति) और डिसीजन (निर्णय)।'

उन्होंने कहा, 'मैंने कभी भी चौथा डी नहीं सुना, जो डिसरप्शन (बाधा) है। हंगामा कर संसदीय कार्यवाही में बाधा उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए, ऐसा करने के लिए कई अन्य स्थान हैं।' कुछ समय से विभिन्न मुद्दों पर संसदीय कार्यवाही में उत्पन्न की जा रही बाधा के मद्देनजर उनकी टिप्पणियां बेहद महत्वपूर्ण हैं।

भारत और जापान के बीच शनिवार को असैन्य परमाणु सहयोग समझौता होने पर राष्ट्रपति ने कहा, 'मैं अत्यंत प्रसन्न हूं।' उन्होंने कहा, 'पहले हमने अमेरिका, रूस और अन्य देशों के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर दस्तखत किए। मैंने 2008 में (विदेश मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान) प्रक्रिया शुरू की थी।'

राष्ट्रपति ने कहा, 'पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए परमाणु ऊर्जा अपनाना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि डीजल या कोयला आधारित बिजली संयंत्र प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं।'

देश में परमाणु ऊर्जा शुरू करने में नेहरू के योगदान और दूरदृष्टि को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री ने 1948 में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना का काम होमी भाभा को सौंपा था।

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