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बेंगलुरु के CEO ने छेड़ दी वर्किंग आवर्स की बहस, जानें किस देश में सबसे कम घंटे काम करते हैं लोग

Lowest Working Hours: भारत में जॉब आवर को लेकर अक्सर बहस छिड़ जाती है. लेकिन कुछ ऐसे देश हैं जहां पर कम काम करने के लिए नियम बनाए गए हैं, ताकि वर्क लाइफ बैलेंस बना रहे.

बेंगलुरु के CEO ने छेड़ दी वर्किंग आवर्स की बहस, जानें किस देश में सबसे कम घंटे काम करते हैं लोग
नई दिल्ली:

Lowest Working Hours: बेंगलुरु के एक कंपनी में एआई स्टार्टअप के सीईओ ने (Runnable CEO Umesh Kumar) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने जॉब और इंटर्न की नियुक्ति के लिए जॉब नोटिफिकेशन जारी किया था. लेकिन जॉब आवर को देखकर इस पोस्ट ने इंटरनेट पर बहस छेड़ दी है. उन्हें ऐसे इंटर्न की तलाश थी, जो सप्ताह में 60-80 घंटे काम करने को तैयार हो. यही नहीं उन्होंने इंटर्न रखने के लिए ऐसी-ऐसी डिमांड की है कि उसे पढ़कर हर आदमी का दिमाग चकरा जा रहा है. 

80 घंटे काम करने वाले इंटर्न की जरूरत

उमेश कुमार की नौकरी की पोस्टिंग को इंटरनेट पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, कई लोगों ने कहा कि हफ़्ते में 60-80 घंटे काम करना सेहत के लिए ठीक नहीं है. एक यूजर ने कहा, "सच कहूं तो 80 घंटे काम करना सेहत के लिए ठीक नहीं लगता. यह तो दिन में 12 घंटे से भी ज़्यादा है." उमेश कुमार के पोस्ट पर लोगों के रिएक्शन देखने को मिले हैं. एक यूजर ने लिखा कि क्या आप नारायण मूर्ति हैं. ऑफिस में काम करने को लेकर अक्सर बात होती है, लेकिन कुछ ऐसे देश हैं जहां पर काम के साथ वर्कलाइफ बैंलेस पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. 

अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (जैसे OECD) के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में सबसे कम औसत साप्ताहिक कामकाजी घंटे (Lowest Average Weekly Working Hours) वाले देशों में अक्सर नीदरलैंड्स (Netherlands) का नाम आता है. लेटेस्ट आंकड़ों के आधार पर, नीदरलैंड्स में प्रति सप्ताह औसत कामकाजी घंटे अन्य विकसित देशों की तुलना में काफी कम हैं, जो आमतौर पर  30 से 32 घंटे के आसपास रहते हैं.

अन्य यूरोपीय देशों, जैसे नॉर्वे और डेनमार्क में भी औसत काम करने का आवर काफी कम होते हैं, जो कार्य-जीवन संतुलन (Work-Life Balance) को महत्व देने वाली नॉर्डिक (Nordic) मॉडल को दर्शाते हैं.

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