जम्मू में स्थित बेस कैंप से बुधवार को अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था रवाना हुआ.
- अमरनाथ यात्रियों के कैम्पों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए
- यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के लिए ड्रोन से रखी जाएगी नजर
- पिछले साल के मुकाबले यात्रियों में 6 से 10 फीसदी की कमी
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नई दिल्ली:
बाबा भोले शंकर की नजर अपने भक्तों पर हमेशा रहती है... लेकिन इस साल उनके अलावा एक और तीसरी आंख आने-जाने वालों की हर हरकत पर नजर रखेगी. अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरे को देखते हुए इस साल सेटेलाइट ट्रैकिंग सिस्टम इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके अलावा बुलेट प्रूफ टेंट लगाए गए हैं. कैम्पों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इसके अलावा यात्रा मार्ग पर ड्रोन से नजर रखी जाएगी.
प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि "यह यात्रा सिर्फ हिंदुओं की नहीं है. इसको सफल बनाना भी सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों का काम नहीं है बल्कि हम सबका है. यह यात्रा हिंदुस्तान की मिलीजुली तहजीब की प्रतीक है क्योंकि यात्री हिंदू होते हैं और मेजबानी दूसरे समुदाय के लोग करते हैं."
जितेंद्र सिंह के मुताबिक़ खतरे को देखते हुए यात्रा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने कहा कि "खुद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बैठकें कीं. साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन की मांग पर इस साल दोगुने सुरक्षा बल यात्रा के लिए तैनात किए गए हैं."
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल सुरक्षा बलों की 115 कम्पनियां यात्रा के लिए तैनात की थीं. इस साल इनकी संख्या दोगुनी है. इस साल मंत्रालय ने 210 कम्पनियां यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए तैनात की हैं. 
वैसे घाटी में हो रही हिंसा का असर अमरनाथ यात्रा पर पड़ा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले यात्रियों के रजिस्ट्रेशन में 6 से 10 फीसदी की गिरावट आई है. अब तक 2.30 लाख यात्री रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. कश्मीर डिवीजन के एक सीनियर अफसर ने एनडीटीवी से कहा कि "अभी शुरुआत है. यात्रा सात अगस्त तक चलेगी. तब तक और यात्री भी रजिस्ट्रेशन करवाएंगे." 
वैसे मंत्रालय का आकलन है कि खतरा उन मुसाफिरों को लेकर ज्यादा है जो बिना रजिस्ट्रेशन कराए आ जाते हैं. खुफिया इनपुट के मुताबिक फिदायीन हमला ऐसे ही यात्रियों पर हो सकता है. इसीलिए पूरे रूट को सेनिटाइज किया जा रहा है, खासकर बालटाल वाले रूट को, क्योंकि यह छोटा है और ज्यादातर यात्री यही रास्ता पसंद करते हैं. 
खतरे का आकलन और सुरक्षा के इंतजाम खुद देखने के लिए केंद्रीय गृह सचिव भी श्रीनगर पहुंच चुके हैं. वे भी बाबा बर्फानी के पहले दर्शन गवर्नर एनएन वोहरा के साथ करेंगे. 
सीआरपीएफ के मुताबिक अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था बुधवार को जम्मू के भगवती नगर में स्थित बेस कैंप से रवाना हुआ. इस जत्थे में 2280 तीर्थयात्री शामिल हैं. व्यापक सुरक्षा के बीच जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री डॉ निर्मल कुमार सिंह ने यात्रियों को विदा किया. यात्रियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान यात्रा में साथ चल रहे हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि "यह यात्रा सिर्फ हिंदुओं की नहीं है. इसको सफल बनाना भी सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों का काम नहीं है बल्कि हम सबका है. यह यात्रा हिंदुस्तान की मिलीजुली तहजीब की प्रतीक है क्योंकि यात्री हिंदू होते हैं और मेजबानी दूसरे समुदाय के लोग करते हैं."
जितेंद्र सिंह के मुताबिक़ खतरे को देखते हुए यात्रा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने कहा कि "खुद केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कई बैठकें कीं. साथ ही जम्मू-कश्मीर प्रशासन की मांग पर इस साल दोगुने सुरक्षा बल यात्रा के लिए तैनात किए गए हैं."
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल सुरक्षा बलों की 115 कम्पनियां यात्रा के लिए तैनात की थीं. इस साल इनकी संख्या दोगुनी है. इस साल मंत्रालय ने 210 कम्पनियां यात्रा के दौरान सुरक्षा के लिए तैनात की हैं.

वैसे घाटी में हो रही हिंसा का असर अमरनाथ यात्रा पर पड़ा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले यात्रियों के रजिस्ट्रेशन में 6 से 10 फीसदी की गिरावट आई है. अब तक 2.30 लाख यात्री रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं. कश्मीर डिवीजन के एक सीनियर अफसर ने एनडीटीवी से कहा कि "अभी शुरुआत है. यात्रा सात अगस्त तक चलेगी. तब तक और यात्री भी रजिस्ट्रेशन करवाएंगे."

वैसे मंत्रालय का आकलन है कि खतरा उन मुसाफिरों को लेकर ज्यादा है जो बिना रजिस्ट्रेशन कराए आ जाते हैं. खुफिया इनपुट के मुताबिक फिदायीन हमला ऐसे ही यात्रियों पर हो सकता है. इसीलिए पूरे रूट को सेनिटाइज किया जा रहा है, खासकर बालटाल वाले रूट को, क्योंकि यह छोटा है और ज्यादातर यात्री यही रास्ता पसंद करते हैं.

खतरे का आकलन और सुरक्षा के इंतजाम खुद देखने के लिए केंद्रीय गृह सचिव भी श्रीनगर पहुंच चुके हैं. वे भी बाबा बर्फानी के पहले दर्शन गवर्नर एनएन वोहरा के साथ करेंगे.

सीआरपीएफ के मुताबिक अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था बुधवार को जम्मू के भगवती नगर में स्थित बेस कैंप से रवाना हुआ. इस जत्थे में 2280 तीर्थयात्री शामिल हैं. व्यापक सुरक्षा के बीच जम्मू-कश्मीर के उप मुख्यमंत्री डॉ निर्मल कुमार सिंह ने यात्रियों को विदा किया. यात्रियों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान यात्रा में साथ चल रहे हैं.
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