गत 18 मार्च से फरार कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह को आज पंजाब पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के कुछ घंटे बाद असम की डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल ले जाया गया. उसके आठ सहयोगी पहले से ही इस अत्यधिक सुरक्षित जेल में कैद हैं. यह जेल पूर्वोत्तर की सबसे पुरानी और सबसे सुरक्षित जेलों में से एक है.
सूत्रों ने कहा कि अमृतपाल सिंह और उनके सहयोगियों को देश के दूसरे छोर पर ले जाने का कारण यह है कि उत्तर भारतीय जेलों में उसके जुड़े या अलगाववादी आंदोलन से जुड़े गैंगस्टर होने की अधिक संभावना है.
सूत्रों ने कहा कि आरोपी को अन्य कैदियों और जेल कर्मचारियों के साथ जुड़ने से रोकने के लिए भाषा की बाधा एक और कारण है. डिब्रूगढ़ जेल एक बहुत ही सुरक्षित जेल है. इसके अलावा वहां स्थानीय सिख समुदाय खालिस्तान आंदोलन के प्रति सहानुभूति नहीं रखता है.
'वारिस पंजाब दे' (WPD) के चार सदस्यों को 19 मार्च को इस जेल में ले जाया गया था. इसके बाद से जेल परिसर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. अब जेल में कथित तौर पर 24 घंटे की तीन स्तरीय सुरक्षा है.
एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "जेल परिसर को असम पुलिस के एलीट ब्लैक कैट कमांडो, सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षाकर्मियों ने घेर रखा है."
इसके अलावा स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि अमृतपाल सिंह के सहयोगियों वाले सेल के सामने नए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. खराब कैमरों को भी ठीक कर दिया गया है या बदल दिया गया है.
बठिंडा से आज दोपहर में करीब 2.20 बजे डिब्रूगढ़ ले जाए गए अमृतपाल सिंह को डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट से भारी सुरक्षा काफिला के साथ जेल ले जाया गया. अधिकारियों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि केंद्रीय जेल में बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है.
डिब्रूगढ़ की जेल 1860 में अंग्रेजों ने बनाई थी. असम सरकार द्वारा जारी की गई पाक्षिक जेल जनसंख्या रिकॉर्ड के अनुसार इस जेल में अभी 680 कैदी हैं. डिब्रूगढ़ जेल वर्तमान में राज्य की तीसरी सबसे अधिक कैदी संख्या वाली केंद्रीय जेल है, जो कि गुवाहाटी और तेजपुर की केंद्रीय जेलों से भी इस मामले में आगे है. डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल ऐतिहासिक रूप से असम के उल्फा विद्रोह के केंद्र में थी. इसमें उल्फा के कई शीर्ष नेताओं को कैद किया गया था.
इससे पहले आज पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक सुखचैन सिंह गिल ने कहा कि अमृतपाल सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत डिब्रूगढ़ ले जाया गया है.
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि अमृतपाल सिंह जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के जरिए पाकिस्तान से हथियार मंगवा रहा था और पंजाब को सांप्रदायिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रहा था. अमृतपाल सिंह कथित तौर पर युवाओं को "बंदूक संस्कृति" की ओर ले जा रहा था.
अमृतपाल और उनके सहयोगियों पर वर्गों के बीच वैमनस्य फैलाने, हत्या के प्रयास, पुलिस कर्मियों पर हमले और लोक सेवकों द्वारा कर्तव्य के निर्वहन में बाधा उत्पन्न करने से संबंधित कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.
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