संगठन 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख और खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) ने आज सुबह पंजाब की मोगा पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. अमृतपाल 37 दिनों से फरार चल रहा था. खालिस्तानी समर्थक नेता अमृतपाल सिंह को खोजने के लिए बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था लेकिन वह लगातार अपना ठिकाना बदलता रहा. अब सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ( SGPC) अमृतपाल सिंह के बचाव में आगे आ गई है. एसजीपीसी ने अमृतपाल पर हुई कार्रवाई को गैरजरूरी बताया है. एसजीपीसी इस मामले को कोर्ट में ले जाने की तैयारी कर रही है.
अमृतपाल को असम की डिब्रूगढ़ जेल ले जाया गया है. वहां उसके आठ सहयोगी पहले से ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत बंद हैं. अमृतपाल 18 मार्च से फरार चल रहा था. जब पंजाब पुलिस ने उसके 'वारिस पंजाब दे' संगठन के सदस्यों पर एक बड़ी कार्रवाई शुरू की थी तो वह फरार हो गया था.
एसजीपीसी अमृतपाल के परिवार को डिब्रूगढ़ ले जाने की इजाजत के लिए कोर्ट जाएगी. जल्लूपुर खेड़ा में अमृतपाल के परिवार से एसजीपीसी के सदस्यों ने मुलाकात की है. एनएसए के तहत आरोपित कुल 10 लोगों में से केवल एक दिलजीत कलसी के परिवार की सदस्य उसकी पत्नी अब तक डिब्रूगढ़ में उससे मिल पाई है. अमृतपाल के परिवार समेत बाकी परिवारों को डिब्रूगढ़ ले जाया जाएगा. इसकी जानकारी कोर्ट की ओर दी जाएगी.एसजीपीसी ने कहा है कि अमृतपाल व अन्य के खिलाफ कार्रवाई अवांछित थी.
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