महाराष्ट्र में आज बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करने जा रहा है. माना जा रहा है कि सीएम देवेंद्र फडणवीस की ओर से किसानों के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक में शिवसेना के मंत्रियों के साथ सरकार बनाने पर भी चर्चा हुई. इसी बैठक के बाद बीजेपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री सुधीर मुंटीगवार ने कहा कि 'अच्छी खबर' आने वाली है. बैठक के बाद सीएम फडणवीस से बीजेपी नेता अलग से मिले और शिवसेना की उस मांग पर भी चर्चा हुई जिसमें वह सत्ता में बराबर की साझेदारी की मांग कर रही है. लेकिन इस मुलाकात के पहले संजय राउत ने एक बार फिर से ट्वीट कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा, 'तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं कमाल है कि, फ़िर भी तुम्हें यक़ीन नहीं'. राउत के इस ट्वीट को बीजेपी की आज राज्यपाल से होने वाली मुलाकात से जोड़कर देखा जा रहा है. शिवसेना के अब तक के रवैये से साफ जाहिर हो रहा है कि वह बीजेपी का साथ छोड़कर किसी भी दूसरे दल के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार है. इसी कड़ी में संजय राउत एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात कर चुके हैं. इसी बीच दिल्ली में शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात तो कयास लगाए जाने लगे कि क्या कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना के समर्थन देगी?
तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) November 7, 2019
कमाल है कि, फ़िर भी तुम्हें यक़ीन नहीं
दुष्यंत कुमार
कई तरह के कयासों, बयानों और घटनाक्रमों के बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने साफ किया है कि जनता ने विपक्ष में बैठने का जनादेश दिया है. अभी तक कांग्रेस इस समूचे घटनाक्रम में चुप्पी साध रखी थी लेकिन पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने बुधवार को कहा कि अगर बीजेपी और शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाती हैं तो उनकी पार्टी और राकांपा संयुक्त रूप से आगे की कार्रवाई का फैसला करेंगी. लेकिन उन्होंने यह बताया कि वह बहुमत के लिए समर्थन कहां से जुटाएंगे. क्या वह शिवसेना का समर्थन लेंगे और शिवसेना इसके लिए राजी हो जाएगी.
दरअसल ऐसा लग रहा है कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने में कांग्रेस और एनसीपी दोनों हिचक रही हैं और इसकी बड़ी वजह इसी महीने अयोध्या मुद्दे पर आने वाला फैसला हो सकता है और इस पर फैसला कुछ भी शिवसेना और उसके 'सैनिकों' की प्रतिक्रिया होगी, यह कांग्रेस और एनसीपी के लिए उस समय चिंता की बात हो सकती अगर वह गठबंधन में साथ हों. हिंदूवादी पार्टी शिवसेना पहले भी केंद्र सरकारों से मांग कर चुकी है कि संसद में कानून बनाकर मंदिर बनाने का रास्ता साफ किया जाए. अगर एनसीपी-कांग्रेस चुनाव बाद में गठबंधन में शिवसेना के साथ आ जाते हैं तो अयोध्या को लेकर आए फैसले पर शिवसेना की प्रतिक्रिया से इन दोनों पार्टियों की कथित सेक्युलर राजनीति को धक्का लग सकता है.
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