माया कोडनानी पेशे से डॉक्टर हैं...
नई दिल्ली:
गुजरात में साल 2002 में हुए नरोदा गाम दंगे के मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आज गवाही देने अहमदाबाद की स्पेशल एसआईटी कोर्ट पहुंचे. ANI के मुताबिक- अमित शाह ने कोर्ट को बताया कि माया कोडनानी उस दिन राज्य विधानसभा में मौजूद थी. जहां दंगे हुए नरोदा गाम में वह नहीं थीं. मामले में मुख्य आरोपी और पूर्व विधायक माया कोडनानी की अपील पर कोर्ट ने अमित शाह को समन जारी किया गया था. कोडनानी के मुताबिक- जिस वक्त नरोदा गाम में दंगे हो रहे थे वह अमित शाह के साथ अहमदाबाद के शोला सिविल अस्पताल में मौजूद थीं. कोडनानी के इसी बयान पर कोर्ट ने अमित शाह को बतौर गवाह बयान देने के लिए हाजिर होने के लिए कहा है.
प्राइम टाइम इंट्रो : दंगों का सबक यही कि बड़े लोग बच जाते हैं या बचा लिए जाते हैं?
आइये जानते हैं कि कौन हैं माया कोडनानी
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आइये जानते हैं कि कौन हैं माया कोडनानी
- बीजेपी से तीन बार विधायक रहीं माया कोडनानी गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में महिला एवमं बाल विकास मंत्री थीं.
- नरोदा गाम दंगा मामले में माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया.
- माया का परिवार बंटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहता था. बंटवारे के बाद वे गुजरात में आकर बस गए.
- माया कोडनानी पेशे से गाइनकालजिस्ट हैं.
- कोडनानी ने बड़ौदा मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया था. उन्होंने नरोदा के कुबेरनगर में शिवम अस्पताल भी खोला था.
- राजनीति की शुरुआत उन्होंने 1995 के स्थानीय चुनावों से की थी.
- माय़ा कोडनानी को आरएसएस कार्यकर्ता के तौर पर भी जाना जाता है
- नरोदा में उनका अपना मेटर्निटी अस्पताल था लेकिन वह फिर स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गईं
- माया कोडनानी दंगा के समय नरोदा से विधायक थीं.
- 2002 में ही हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में वे फिर से विधायक चुनी गईं.
- 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी की जीत हुई. इसके बाद वह गुजरात सरकार में मंत्री बनीं
- 2009 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष टीम से गिरफ्तारी के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा
- 29 अगस्त 2012 में आखिरकर कोर्ट ने उन्हें नरोदा पाटिया दंगों के मामले में दोषी करार दिया.
- गोधरा ट्रेन अग्निकांड के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को नरोदा गाम में 11 मुसलमानों को मार डाला गया था. इस मामले में कुल 82 लोगों के खिलाफ सुनवाई हो रही है. कोडनानी को नरौदा पाटिया दंगा मामले में दोषी करार देते हुए 28 साल कैद की सजा सुनायी गयी है.
- जमानत पर बाहर आईं माया कोडनानी की तस्वीर भी विवाद का कारण बनी थी. यह तस्वीर शिविर की थी. कोडनानी के करीबी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा था कि मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए वह दस दिनों के इस शिविर में शामिल हुई थी. उन्होंने कहा, 'कोडनानी मानसिक रूप से अस्थिर हैं और उन्हें शिविर में शामिल होने का सुझाव दिया गया था.
- कोडनानी को खराब स्वास्थ्य के आधार कई बार जमानत मिलती रही और कथित रूस से अवसाद की शिकार कोडनानी को शॉक थेरेपी भी दी गई थी. सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा था कि उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति दिख रही थी और दवाओं से ठीक नहीं हो पा रही थी.
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