महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस पर चुनाव में हलफनामे में गलत जानकारी देने का आरोप है.
खास बातें
- कोर्ट ने पूछा कि जानकारी जानबूझकर छिपाई गई या फिर गलती से हुआ
- सीएम ने कहा- राजनीतिज्ञों पर सैकड़ों मुकदमे रहते हैं, कार्रवाई न हो
- वकील सतीश उके की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि 2014 में चुनावी हलफनामे में आपराधिक केसों की जानकारी छिपाने पर फड़णवीस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए या नहीं.
हालांकि इस दौरान फड़णवीस की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री व राजनीतिक लोगों के खिलाफ 100 मुकदमे रहते हैं. किसी के चुनावी हलफनामे में न देने पर कार्रवाई नहीं हो सकती. वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि उन्होंने चुनावी हलफनामे में जानकारी छिपाई है इसलिए कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने पूछा कि जानकारी जानबूझकर छिपाई गई या फिर गलती से हुआ, इस मामले को क्यों ना ट्रायल के लिए भेजा जाए.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फड़णवीस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. उन पर सन 2014 के चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक केसों की जानकारी छिपाने का आरोप है. यह दो केस नागपुर के हैं जिनमें एक मानहानि का और दूसरा ठगी का है. याचिका में फड़णवीस को अयोग्य करार देने की मांग की गई है.
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सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रहा है. वकील सतीश उके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया है कि 2014 के चुनाव का नामांकन दाखिल करते समय फड़णवीस ने झूठा हलफनामा दायर किया था. याचिका में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने खिलाफ दो आपराधिक मामलों की जानकारी छुपाई थी.
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