घरेलू गैस सिलेंडर का क्या है चुनावी गणित? पांच सालों में सबसे अधिक सब्सिडी चुनावी साल में

देश के पांच साल के आंकड़े देखें तो चुनाव के आसपास सरकारी तिजोरी खुल जाती है, खासकर रसोई गैस पर

घरेलू गैस सिलेंडर का क्या है चुनावी गणित? पांच सालों में सबसे अधिक सब्सिडी चुनावी साल में

प्रतीकात्मक फोटो.

भोपाल:

केंद्र सरकार ने गैस सिलेंडर पर 200 रुपये सब्सिडी का ऐलान किया है. यह सब्सिडी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के 9 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मिलेगी. सब्सिडी सालाना 12 सिलेंडर पर दी जाएगी. सरकार ने ये भी बता दिया कि इससे सालाना करीब 6100 करोड़ रुपये का राजस्व प्रभावित होगा. वैसे पांच साल के आंकड़े देखें तो चुनाव के आसपास सरकारी तिजोरी खुल जाती है, खासकर रसोई गैस पर.

अगर एचपीसीएल, यानी हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के आंकड़े देखें तो 2017-18 में उसने सब्सिडी पर 5963.13 करोड़ खर्च किए. 2018-19 में यही आंकड़ा सीधे 9337.50 करोड़ पर पहुंच गया. चुनाव के बाद 2019-20 में 6571.58 करोड़, 2020-21 में 1725.54 करोड़ और 21-22 में महज़ 849.28 करोड़ रुपये खर्च हुए.

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 2017-18 में 12,318.20 करोड़, तो 2018-19 में 18,706.37 करोड़, 2019-20 में 12,842.78, 2020-21 में 457.69 जबकि 21-22 में दिसंबर तक गैस सब्सिडी पर 1528.37 करोड़ रुपये खर्च किए. वहीं भारत पेट्रोलियम लिमिटेड, यानी बीपीसीएल ने 2017-18 में 6,068.16 करोड़ रुपये, 2018-19 में 9584.76 करोड़, 2019-20 में 6588.07 करोड़, 2020-21 में 1567.77 करोड़, तो 2021-22 में दिसंबर तक गैस सब्सिडी में 621.05 करोड़ रुपये खर्च किए.

एक मई 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई थी. इसका मकसद था देश के उन सभी परिवारों को सुरक्षित स्वच्छ रसोई ईंधन आवंटित करना जो आज भी पुराने, असुरक्षित व प्रदूषित ईंधन का प्रयोग खाना बनाने के लिए करते हैं. लेकिन महंगाई ने वापस हितग्राहियों को चूल्हा फूंकने पर मजबूर कर दिया है.

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अप्रैल के महीने में ही एनडीटीवी ने नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर की सूचना के अधिकार के तहत जुटाई गई जानकारी के आधार पर बताया था कि कैसे बीते वित्त वर्ष में उज्जवला के लगभग एक करोड़ लाभार्थियों ने अपने सिलेंडर सिर्फ़ एक बार ही भरवाए थे.
        
यह हालात तब हैं जब वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व लगभग 56.5 प्रतिशत बढ़ गया और पेट्रोलियम उत्पादों पर 4.51 लाख करोड़ के टैक्स रेवेन्यू की कमाई हुई. ये बात भी गौर करने वाली है कि ये कमाई कोविड-19 के भीषण प्रकोप वाले वित्तीय वर्ष में हुई.