पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भांजी एवं छत्तीसगढ़ की वरिष्ठ भाजपा नेता करुणा शुक्ला ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद आज कहा कि पार्टी द्वारा उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर से पूर्व सांसद एवं अविभाजित मध्य प्रदेश की पूर्व विधायक करुणा ने टेलीफोन पर से बातचीत में कहा कि यह कहना उचित नहीं है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में बेमेत्रा से पार्टी टिकट मांग रही थीं और टिकट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि उनके इस्तीफे का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है।
करुणा ने कहा कि पार्टी के हर कार्यकर्ता को इस बात का हक है कि वह चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगे, लेकिन उसे टिकट मिलना जरूरी तो नहीं होता। वैसे भी विधानसभा चुनाव का टिकट उनके लिए कोई मुद्दा इसलिए भी नहीं है, क्योंकि वह 1993 में अविभाजित मध्य प्रदेश में विधायक बन गई थीं और 2004 में वह जांजगीर से सांसद निर्वाचित हुई थीं।
पूर्व सांसद ने कहा कि टिकट वितरण से पहले उन्होंने नई दिल्ली में पांच दिन केवल इसलिये बिताए थे, क्योंकि वह भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात करना चाहती थीं। वह समझ सकती हैं कि राजनाथ सिंह व्यस्त रहे होंगे, लेकिन उनको कम से कम उनसे फोन पर तो बात कर लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि यह बड़ी हैरानी की बात है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा ने उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं किया, हालांकि उन्होंने भाजपा की सेवा 30 साल से भी अधिक समय तक की है। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वह अब कांग्रेस में शामिल हो जाएंगी, तो उन्होंने कहा कि वह ऐसा कभी नहीं कर सकती हैं।
करुणा ने कहा कि इस्तीफे के बाद से उन्हें बहुत सारे दलों में शामिल होने के प्रस्ताव मिल रहे हैं, लेकिन भाजपा छोड़ने के बाद वह किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में नहीं जाना चाहती हैं।
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