विप्रो (Wipro) ने हाल ही में दूसरी आईटी कंपनियों (IT Companies) के लिए काम करने के आरोप में अपने 300 कर्मचारियों को निकाला है. लेकिन विप्रो को यह पता कैसे चला कि वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) के दौरान उनके कर्मचारी किसी और कंपनी के साथ भी काम कर रहे हैं? कंपनी ने अभी तक यह नहीं बताया है . केवल इन "मूनलाइटर्स" (moonlighters) को "चीटर" (Cheater)बताया जा रहा है. लेकिन एक ट्विटर पर इसे लेकर एक दावा किया जा रहा है जो वायरल हो रहा है. इन आईटी प्रोफेशनल्स ने अपने वर्क फ्रॉम होम अवतार में उन्हीं कंपनियों को ज्वाइन किया जो वर्क फ्रॉम होम करवा रहीं थीं. स्टॉक मार्केट इन्वेस्टर राजीव मेहता ने ट्वीट किया. इनके करीब 20,000 फॉलोअर्स हैं और अधिकतर यह ट्रेडिंग के टिप्स पोस्ट करते हैं.
300 #Wipro employees sacked as they took advantage of work from home and worked parallely with another company.
— Rajiv Mehta (@rajivmehta19) October 10, 2022
How #Digital #India has precisely found the culprits is amazing. Kindly read the below article. Fantastic system in place in India.
"वही क्षमता लेकिन दुगना काम", उन्होंने मूनलाइटिंग के बारे में लिखा, "दो अलग लैपटॉप, वही वाईफाई, लेकिन दो अगल क्लाइंट को सर्विस- यह सब अपने घर के आराम से, अपने शहर से."
वह आगे पूछते हैं, "उन्हें पकड़ना असंभव था, लेकिन फिर उन्हें किसने पकड़ा?"
और फिर इसके बाद उन्होंने अपने सवाल का खुद ही जवाब देते हुए दावा किया-- सबसे मासूम, शक से परे, हमेशा पिछली कतार में रहने वाले- प्रोविडेंट फंड कंट्रीब्यूशन ने उन्हें पकड़वाया"
PF सरकार की एक रिटायरमेंट स्कीम है, जिसके तहत कंपनियां अपने कर्मचारियों की सैलरी का एक हिस्सा काटती हैं और उनके लिए भी योगदान देना आवश्यक होता है.
PF कंट्रीब्यूशन लगातार जमा करवाया जाना चाहिए. और ऐसा ना करने के गंभीर परिणाम होते हैं.
यहीं दस्तावेजों का डिजिटल लिंक काम आता है. उन्होंने कहा- जैसे सभी आधार, पैन नंबर, सैलरी अकाउंट खोलने के लिए ज़रूरी होते हैं, वैसे ही पीएफ जमा करने के लिए भी ज़रूरी होते हैं. सिस्टम्स ने खूबसूरती से जुड़े हुए हैं कि इन मूनलाइटर्स के लिए यह असंभव हो गया कि वो वित्तीय तौर से और मौजूदा तौर से दो अलग पहचान बनाएं."
उन्होंने दावा किया कि दो जगह काम पीएफ अधिकारियों ने एक डेली डुप्लीकेशन एल्गोरिदम रन करके पकड़ा कि क्या किसी को दो बार तो पेमेंट नहीं हुई. उन्होंने पता लगाया कि यहां कुछ अकाउंट हैं जिन्हें कई लोगों से पैसा आ रहा है."
प्रोविडेंट अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है. लेकिन मिस्टर मेहता का कहना है कि जब यह रिपोर्ट कंपनियों के साथ साझा की गई तो पूरा भेद खुल गया.
हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया है कि वह इस थियरी पर कैसे पहुंचे और क्या उनके पास कोई सबूत हैं, लेकिन एक घंटे में ही उनके ट्वीट के 10,000 जवाब आए. मिस्टर मेहता ने सरकार के डिजिटल इंडिया इनीशिएटिव को इसका श्रेय दिया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं