
- भारत में गंभीर बीमारियों की दवाएं महंगी होती, जो विदेश से आयात की जाती हैं और आम आदमी के लिए मुश्किल हैं.
- जीएसटी काउंसिल ने 33 महंगी और जीवनरक्षक दवाओं पर लगने वाले 12 प्रतिशत जीएसटी को पूरी तरह से हटा दिया है.
- दवाओं और चिकित्सा उपकरणों पर अब पांच प्रतिशत का एकल जीएसटी दर लागू होगा, जो पहले से कम है.
भारत में स्वास्थ्य सेवाएं अक्सर महंगी होती हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो कैंसर, दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों और ऑटोइम्यून विकारों जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. इन बीमारियों की ज्यादातर दवाएं बाहर से आती हैं, जिनकी कीमत इतनी ज्यादा होती है कि आम आदमी के लिए इलाज कराना बहुत मुश्किल हो जाता है. इस समस्या को देखते हुए, जीएसटी काउंसिल ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. उन्होंने 33 महंगी और जीवनरक्षक दवाओं पर लगने वाले 12% जीएसटी को पूरी तरह से हटा दिया है.
नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी के अध्यक्ष पी. कृष्णमूर्ति ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह सरकार का एक बहुत अच्छा फैसला है. सरकार लगातार दवाओं पर टैक्स कम करने की दिशा में काम कर रही है. पिछले बजट में भी कई दवाओं पर जीएसटी की दर कम की गई थी.
जीएसटी दरों में बदलाव का प्रभाव
कृष्णमूर्ति ने बताया कि इस फैसले के बाद, दवाएं और चिकित्सा उपकरण (मेडिकल डिवाइस) दोनों ही 5% के सिंगल रेट स्ट्रक्चर पर आ गए हैं. पहले जिन पर 12% या 18% जीएसटी लगता था, अब उन पर केवल 5% जीएसटी लगेगा, जिससे उपभोक्ताओं को लगभग 13% का सीधा लाभ होगा. इस कदम से लाखों मरीजों, विशेषकर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को बहुत फायदा होगा.
उन्होंने यह भी कहा कि इलाज के कुल खर्च में दवाइयों और मेडिकल उपकरणों का खर्च 30 से 40% होता है. जीएसटी की दर कम होने से यह खर्च काफी हद तक कम हो जाएगा, जिससे अफोर्डेबल हेल्थकेयर की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.
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