राजस्थान की इस सीट पर गहलोत जूनियर का मुकाबला बीजेपी के जमीनी स्तर के नेता से

जालौर राजस्थान की उन 10 सीटों में से एक है, जहां बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन करते समय अपने मौजूदा सांसदों को हटा दिया.  देवजी पटेल ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में जालौर सीट जीती थी.

राजस्थान की इस सीट पर गहलोत जूनियर का मुकाबला बीजेपी के जमीनी स्तर के नेता से

वैभव गहलोत का मुकाबला बीजेपी के जमीनी स्तर के नेता से...

राजस्थान में आम चुनाव 2024 में दूसरे और अंतिम चरण में 13 सीटों पर चुनाव हो रहा है. दूसरे चरण में जालौर सीट पर बड़ी दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है, जहां एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता के बेटे का मुकाबला बीजेपी के जमीनी नेता से है. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot ) को कांग्रेस ने जालौर से टिकट दिया है, जहां भाजपा का दो दशकों से कब्जा है. उनका मुकाबला भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता लुंबाराम चौधरी (Lumbaram Chaudhary) से है, जिन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा पंचायत स्तर से शुरू की थी.

वैभव गहलोत ने 2019 का लोकसभा चुनाव जोधपुर से लड़ा था, लेकिन भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से 2.5 लाख से अधिक वोटों से हार गए थे. दोनों पक्षों की ओर से इस हाई प्रोफाइल मुकाबले के लिए जोरदार प्रचार किया है. जहां बीजेपी ने पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की रैलियां भी आयोजित की गईं, वहीं कांग्रेस ने घर-घर जाकर अभियान चलाया, साथ ही 14 अप्रैल को एक मेगा रैली की आयोजन किया गया था, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हुई थीं.

दरअसल, जालौर में ही प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था कि कभी लोकसभा में 400 सीटें जीतने वाली पार्टी अब 300 सीटों पर उम्मीदवार ढूंढने के लिए संघर्ष कर रही है, ये उनके पापों की वजह से हुआ है.

अमित शाह ने भी अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए शनिवार को एक रैली में कहा कि कांग्रेस के दिग्गज नेता अपने बेटे के प्रचार अभियान तक ही फंस कर रहे गए हैं.उन्होंने रैली में दावा किया कि उनका बेटा भारी अंतर से चुनाव हारने जा रहा है और एनडीए को लगातार तीसरी बार राजस्थान सभी सीटें देने जा रहा है.

हालांकि, कांग्रेस उम्मीदवार वैभव गहलोत आशान्वित हैं. उन्होंने कहा, "जनता ने इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को खत्म करने का मन बना लिया है क्योंकि उनके सांसदों ने पिछले 20 वर्षों में कोई काम नहीं किया है और वे इस बार जालौर लोकसभा क्षेत्र में बदलाव चाहते हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या उनके प्रतिद्वंद्वी लुंबाराम चौधरी का जमीनी अनुभव उन्हें फायदा पहुंचा सकता है पर वैभव ने कहा कि मुझे पार्टी में 16-17 साल तक काम करने के बाद लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला. मैंने यूथ कांग्रेस में काम किया है. मुझे 10 साल पार्टी में काम करने के बाद जगह मिली है.

वैसे एक फैक्टर है, जिससे कांग्रेस को लाभ मिलने की उम्मीद है. वहां माली समुदाय की एक बड़ी आबादी है और वैभव गहलोत भी इसी समुदाय से आते हैं. 

वैभव गहलोत के समर्थन में एक रैली के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि पीएम मोदी लोगों से पूरी तरह कटे हुए हैं. अधिकारी उन्हें वास्तविकता बताने से डरते हैं. उन्होंने पिछली अशोक गहलोत सरकार की कल्याणकारी योजनाएं रोकने का दावा कर बीजेपी की आलोचना भी की.

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जालौर राजस्थान की उन 10 सीटों में से एक है, जहां बीजेपी ने इस लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन करते समय अपने मौजूदा सांसदों को हटा दिया.  देवजी पटेल ने 2009, 2014 और 2019 के चुनावों में जालौर सीट जीती थी. इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर भाजपा, तीन पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय विधायक का कब्जा है.