"170 घंटे से उत्तराखंड की सुरंग में फंसे 41 मजदूर, रेस्क्यू में अभी 4-5 दिन और लगेंगे": अधिकारी

प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "विशेषज्ञ इस बात पर सहमत थे कि सिर्फ एक योजना पर काम करने के बजाय हमें फंसे हुए श्रमिकों (Uttarkashi Workers Stuck In Tunnel) तक जल्द से जल्द पहुंचने के लिए पांच योजनाओं पर एक साथ काम करना चाहिए."

खास बातें

  • उत्तराखंड की सुंरंग में 170 घंटे से फंसे 41 मजदूर
  • रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी 4-5 दिन और लगेंगे-अधिकारी
  • "ईश्वर की कृपा रही तो जल्दी बाहर आएंगे 41 श्रमिक"
नई दिल्ली:

उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 41 मजदूरों को फंसे (Uttarakhand Tunnel Collapses Rescue Operation) 170 घंटों से ज्यादा समय हो चुका है, लेकिन अब तक वह बाहर नहीं निकाले जा सके हैं. रेस्क्यू टीम मलबे में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. लंबे समय से सुरंग में फंसे रहने की वजह से मजदूरों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई है. रेस्क्यू टीम के अधिकारी आज ड्रिल से पहाड़ी की चोटी से वर्टिकल होल करने की कोशिश करेंगे, जिसके नीचे ढही सुरंग के अंदर पर्याप्त खाना पहुंचाया जा सके और श्रमिकों से बातचीत होती रहे.  

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वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए प्लेटफॉर्म बनाने का काम जारी

मध्य प्रदेश के इंदौर से मंगवाई गई हाई परफॉर्मेंस वाली ड्रिलिंग मशीन को साइट पर लाए जाने के बाद वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के लिए प्लेटफॉर्म बनाने का काम शनिवार शाम को ही शुरू कर दिया गया था. टनल में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकाले जाने के लिए पीएमओ के अधिकारियों की एक टीम और साइट पर विशेषज्ञ पांच योजनाओं पर एक साथ काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "विशेषज्ञ इस बात पर सहमत थे कि सिर्फ एक योजना पर काम करने के बजाय हमें फंसे हुए श्रमिकों तक जल्द से जल्द पहुंचने के लिए पांच योजनाओं पर एक साथ काम करना चाहिए."

शुक्रवार को रोका गया था ड्रलिंग का काम

भास्कर खुल्बे ने कहा कि एजेंसियों की पुखता कोशिशों से चार-पांच दिनों में श्रमिकों को बचा लिए जाने की संभावना है. उन्होंने कहा, "लेकिन अगर ईश्वर की कृपा रही तो यह पहले भी हो सकता है." बता दें कि रेस्क्यू टीम लगातार साइट पर काम में लगी हुई है. लेकिन शुक्रवार शाम को तेज आवाज आने के बाद अधिकारियों ने मशीन से ड्रिलिंग को रोक दिया था. सूत्रों के मुताबिक सुरंग से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए केंद्र ने एक उच्च स्तरीय बैठक भी की, जहां श्रमिकों को बचाने के लिए पांच विकल्पों पर काम करने के लिए सौंपे गए विकल्पों के साथ कई एजेंसियों के साथ चर्चा भी की गई. सभी केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद को प्रभारी नियुक्त किया गया है.

'टनल में फंसे लोग कमजोर हो रहे'

इस सबके बीच सुरंग के बाहर अपनों के बाहर आने की आस लगाए बैठे परिवारों का इंतजार बहुत ही पीड़ा देने वाला है. श्रमिकों के परिवारों का कहना है कि उनकी आवाजें अब कमजोर हो रही हैं, उनकी शक्ति भी क्षीण होती जा रही है. डॉक्टरों ने फंसे हुए श्रमिकों के लिए बड़े स्तर पर पुनर्वास की जरूरत पर भी जोर दिया, उन्हें डर है कि लंबे समय तक टनल में फंसे रहने की वजह से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की परेशानी हो सकती है. 

बता दें कि 12 नवंबर को सुबह से ही सुरंग का एक हिस्सा धंसने के बाद से 41 मजदूर फंसे हुए हैं. अधिकारियों ने कहा कि सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें छेद में ड्रिल किए गए स्टील पाइप के माध्यम से भोजन और पानी दिया जा रहा है. दरअसल यहनिर्माणाधीन सुरंग महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना का हिस्सा है, जो बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के हिंदू तीर्थ स्थलों तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पहल है.

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