उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) ने चारधाम यात्रा मार्ग (Chardham Yatra Route) पर घोड़े-खच्चरों की कथित तौर पर ज्यादा काम के बोझ के चलते हो रही मौतों के मामले को बुधवार को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया और उन्हें मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. पशु अधिकार कार्यकर्ता गौरी मौलेखी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की पीठ ने राज्य सरकार, पशुपालन विभाग, उत्तरकाशी, चमोली एवं रूद्रप्रयाग तथा चारधाम मार्ग में आने वाले जिलों के जिलाधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं.
कठिन पैदल मार्गों वाले हिमालयी धामों तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में घोडे़ और खच्चरों का इस्तेमाल करते हैं. उच्च न्यायालय ने सरकार को यात्रा के सुरक्षित संचालन के मामले को देखने के लिए एक समिति का गठन करने को भी कहा है.
अपनी याचिका में मौलेखी ने कहा कि उत्तराखंड में श्रद्धालुओं को तीर्थयात्रा कराने में करीब बीस हजार घोड़ों एवं खच्चरों का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने यह भी दावा किया कि इनमें से ज्यादातर घोडे़-खच्चर बीमार हैं और उनसे क्षमता से अधिक काम लिया जा रहा है. उनका कहना है कि इसके अलावा, इन पशुओं के लिए न तो पशु चिकित्सक की सुविधा है और न ही उन्हें पर्याप्त चारा और पानी उपलब्ध कराया गया है. उन्होंने यह भी दावा किया कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अतिरिक्त दवाब के कारण इन पशुओं की मौत हो रही है.
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याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि मृत जानवरों को सीधे नदियों में फेंका जा रहा है जिससे पानी भी प्रदूषित हो रहा है. याचिका के अनुसार अब तक 600 घोडों एवं खच्चरों की मृत्यु हो चुकी है. मामले की अगली सुनवाई 22 जून को होगी.
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