विज्ञापन

सिर्फ 2 घंटे 40 मिनट चल सका उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र, समय से पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

सरकार का कहना है कि विपक्ष नहीं चाहता था कि सदन सही से चले और जनता के विकास के काम यहां पर हों. सदन में विपक्ष का मकसद सिर्फ हंगामा करना था.

सिर्फ 2 घंटे 40 मिनट चल सका उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र, समय से पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
  • उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया.
  • विपक्ष ने पहली बार सदन में अपना बिस्तर लगाकर प्रदर्शन किया और विधानसभा में रात गुजारी.
  • विपक्ष ने पंचायत चुनाव में हुई धांधली और कानून व्यवस्था पर चर्चा की मांग की लेकिन सरकार ने स्वीकार नहीं किया.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
देहरादून:

उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया है. ये सेशन मात्र 2 घंटे 40 मिनट ही चल पाया, जबकि ये 19 अगस्त से शुरू हुआ था और इसे 22 अगस्त तक चलना था, लेकिन सत्र 20 अगस्त को करीब 1:30 बजे ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.

उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण, भराड़ीसैंण में मानसून सत्र आहूत किया गया था. विधानसभा का ये सत्र कई मायनों में उत्तराखंड के इतिहास में याद रखा जाएगा. इसकी कई बड़ी वजह है, जैसे उत्तराखंड के 25 सालों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब विपक्ष ने विधानसभा के अंदर सदन में ही अपना बिस्तर लगाकर न सिर्फ प्रदर्शन किया, बल्कि वहीं रात गुजारी.

उत्तराखंड में गैरसैंण का मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि भावनात्मक है. लंबे समय से मांग थी कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए, लेकिन स्थाई राजधानी की जगह देहरादून अस्थाई राजधानी बनकर रह गई. जबकि गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी बनी. गैरसैंण में सत्र करवाने पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि हर बार भारी-भरकम खर्चे के बावजूद यहां जनता से जुड़े मुद्दों पर सार्थक बहस नहीं हो पाती. इस बार भी करोड़ों खर्च हुए, लेकिन जनता के सवाल गैरसैंण भराड़ीसैंण की धुंध में खो गए. गैरसैंण में सत्र करवाना सिर्फ औपचारिकता साबित हो रहा है. जनता के मुद्दे गौण हो गए हैं और राजनीतिक रस्म अदायगी ही प्राथमिकता बन गई है. ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण केवल प्रतीकात्मक बनकर रह गई है, विधानसभा का मानसून सत्र बिना किसी ठोस बहस और निर्णय के समाप्त हो गया, जिससे प्रदेश की जनता एक बार फिर मायूस हुई है.

Latest and Breaking News on NDTV

सत्र के शुरू होने से पहले ही विपक्ष पंचायत चुनाव में हुई धांधली जैसे अपने कुछ बड़े मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने का प्लान कर चुका था. वहीं कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सत्र के शुरू होते ही 310 नियम के तहत चर्चा करने की मांग की, लेकिन उनकी यह मांग स्वीकार नहीं की गई. लगातार विपक्ष हंगामा करता रहा जिसकी वजह से सदन को कई बार स्थगित करना पड़ा. प्रश्न काल भी नहीं चल पाया, लेकिन विपक्ष लगातार वेल में आकर हंगामा करता रहा. मामला इतना बढ़ गया कि विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा सचिव की टेबल तक पलट दी, इसके बाद सदन स्थगित कर दिया गया.

उत्तराखंड मानसून सत्र जो ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में आयोजित किया गया था उसमें कई महत्वपूर्ण विधयेक भी पारित किए गए. जिसमें उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025, उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता एवं विधि विरुद्ध प्रतिषेध संशोधन विधेयक 2025 और अनुपूरक बजट शामिल है. इसके अलावा उत्तराखंड विनियोग 2025-26 का अनुपूरक विधेयक 2025, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश श्री बदरीनाथ तथा श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम 1939 संशोधन विधेयक 2025, उत्तराखंड निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2025, उत्तराखंड साक्षी संरक्षण निरसन विधेयक 2025, उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक 2025, समान नागरिक संहिता उत्तराखंड संशोधन विधेयक 2025, उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन विधेयक 2025 और उत्तराखंड लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक 2025 विधयेक शामिल थे.

Latest and Breaking News on NDTV

वहीं सरकार का कहना है कि विपक्ष नहीं चाहता था कि सदन सही से चले और जनता के विकास के काम यहां पर हों. सदन में विपक्ष का मकसद सिर्फ हंगामा करना था. इसको लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी कहा कि हम चाहते थे कि विपक्ष संयम से सदन के अंदर अपनी बात रखें और हम उनकी बातों पर चर्चा करें लेकिन विपक्ष सिर्फ हंगामा करना चाहता था. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि विपक्ष कानून व्यवस्था की बात कर रहा है, लेकिन सदन में विपक्ष ने ही कानून तोड़ा है और जिस तरीके से विपक्ष का रवैया रहा है, उससे साफ लगता है कि विपक्ष को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर कोई मतलब नहीं था.

वहीं विपक्ष के नेताओं का कहना है कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है. राज्य में सरेआम पंचायत चुनाव में गुंडागर्दी सभी ने देखी है. पंचायत चुनाव में गोलियां भी चली हैं और ऐसे में हम कानून व्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन सरकार नहीं चाहती थी कि कानून व्यवस्था के मुद्दे पर कोई सदन के अंदर चर्चा हो, सरकार मुद्दों से भागना चाहती है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com