लम्पी बीमारी ने पशुपालकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. यह बीमारी उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में फैल चुकी है. वर्तमान में हजारों पशु इसकी चपेट में आ चुके हैं. साथ ही काफी संख्या में पशुओं की मौत भी हो चुकी है. इस बीच, उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सक संघ ने मांग की है कि लंपी को महामारी घोषित किया जाए.
उत्तर प्रदेश में लंपी को महामारी घोषित न करने के चलते इलाज निशुल्क नहीं है और मवेशी की मौत के बाद कोई मुआवजा भी नहीं है. संघ ने गॉटपॉक्स टीका भी उत्तर प्रदेश में पर्याप्त उपलब्ध न होने की बात कही है. बता दें कि उत्तर प्रदेश में 600 से ज्यादा पशु चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं. भारत दुनिया में दूथ उत्पादन में नंबर वन है. दुनिया का 40 फीसदी दूध भारत उत्पादन करता है. लेकिन 1 फीसदी ही निर्यात करता है. हालांकि, केंद्र सरकार के मंत्री का कहना है कि दूध के उत्पादन पर इसका असर नहीं पड़ा है.
वहीं केंद्र ने कहा है कि त्वचा पर गांठ बनने की बीमारी (लम्पी स्किन डिजीज) के कारण अबतक 50,000 से अधिक मवेशियों की मौत हो गई है. इसको देखते हुए प्रभावित राज्यों से इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिये टीकाकरण प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा गया है.
त्वचा पर गांठ बनने की बीमारी एक संक्रामक विषाणु जनित बीमारी है जो मवेशियों को प्रभावित करती है. यह बुखार, त्वचा पर गांठ का कारण बनती है और इससे मृत्यु भी हो सकती है. यह रोग मच्छर, मक्खी, ततैया आदि के सीधे संपर्क से और दूषित खाने तथा पानी से फैलता है.
इस बीमारी के मुख्य लक्षणों में बुखार, दूध में कमी, त्वचा पर गांठें बनना, नाक और आंखों से स्राव, खाने में समस्या आदि शामिल हैं. कई बार इसके कारण मवेशियों की मौत हो जाती है.
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