नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचे और हवाई अड्डे पर उनके भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. ऑस्टिन शुक्रवार को भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू' विदेश और रक्षा मंत्रियों के स्तर की वार्ता में हिस्सा लेने के लिए नयी दिल्ली की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. वार्ता में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे.
भारतीय पक्ष का नेतृत्व सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर करेंगे. सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट में लिखा, ‘‘पालम, नयी दिल्ली में अपने मित्र और रक्षा मंत्री ऑस्टिन का स्वागत करके प्रसन्नता हुई. ‘टू प्लस टू' मंत्रिस्तरीय वार्ता और कल होने वाली द्विपक्षीय बैठक के दौरान सार्थक विचार-विमर्श होने की उम्मीद है.''
ऑस्टिन को हवाई अड्डे पर ‘गार्ड ऑफ ऑनर' भी दिया गया. सिंह और जयशंकर का ‘टू प्लस टू' संवाद के इतर अपने अमेरिकी समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने का भी कार्यक्रम है, जिसमें तेजी से विस्तारित होते भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों की व्यापक समीक्षा किए जाने की उम्मीद है.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह और ऑस्टिन के बीच ‘टू प्लस टू' वार्ता और द्विपक्षीय बैठक में कई रणनीतिक, रक्षा और प्रौद्योगिकी मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. अमेरिका के मंत्री ऑस्टिन ने आखिरी बार जून में भारत की यात्रा की थी और सिंह से मुलाकात की थी.
विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘टू प्लस टू' संवाद रक्षा और सुरक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी मूल्य श्रृंखला सहयोग और दोनों देशों के लोगों के बीच परस्पर संबंधों में प्रगति की उच्चस्तरीय समीक्षा हो सकेगी. इसने एक बयान में कहा, ‘‘मंत्रियों को इस साल जून और सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन द्वारा अपनी चर्चाओं में परिकल्पित भारत-अमेरिका साझेदारी के भविष्य के रोडमैप को आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा.''
मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष समसामयिक क्षेत्रीय मुद्दों का भी जायजा लेंगे और बहुपक्षीय मंच और क्वाड जैसे ढांचे के माध्यम से सहयोग बढ़ाने के लिए साझा प्राथमिकताओं के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करेंगे. भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है. अमेरिका ने जून 2016 में महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकी को साझा करने का मार्ग प्रशस्त करते हुए भारत को 'प्रमुख रक्षा भागीदार' नामित किया था.
दोनों देशों ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा और सुरक्षा संबंधी प्रमुख समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें 2016 में ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट' (एलईएमओए) भी शामिल है, जो दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत और आपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति देता है.
दोनों पक्षों ने 2018 में सीओएमसीएएसए (संचार अनुकूलता और सुरक्षा समझौते) पर भी हस्ताक्षर किए, जो दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालनीयता प्रदान करता है और अमेरिका से भारत में उच्चस्तरीय प्रौद्योगिकी की बिक्री का प्रावधान करता है. अक्टूबर 2020 में, भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और बढ़ावा देने के लिए बीईसीए (बेसिक एक्सचेंज एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट) समझौते पर मुहर लगाई. यह समझौता दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय सैन्य प्रौद्योगिकी, रसद और भू-स्थानिक मानचित्र साझा करने का प्रावधान करता है.
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