भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के हालात से निपटने के लिए पांच उपाय सुझाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को पत्र लिखा था. डॉक्टर सिंह ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया था कि महामारी से मुकाबले के लिए टीकाकरण और दवाओं की आपूर्ति बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा. इस पत्र के जवाब से सियासी घमासान शुरू हो गया है. दरअसल केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने इस पत्र का जवाब देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा और कांग्रेस द्वारा कोरोना के टीके के बारे में संदेह उठाकर वायरस की दूसरी लहर को बढ़ावा देने के लिए दोषी ठहराया.
डॉक्टर हर्षवर्धन ने अपने पत्र में लिखा, 'डॉक्टर सिंह, यह दुख पहुंचाने वाली बात है कि एक ओर तो आप ये मानते हैं कि कोरोना से लड़ाई में टीका बहुत अहम है, लेकिन आपकी पार्टी और राज्यों में आपकी पार्टी की सरकारों में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोग ही आपकी राय से सहमत नहीं दिखते हैं. क्या ये भारत के लिए गर्व की बात नहीं है कि हम अकेले देश हैं जिसने दो टीकों को विकसित किया है.'
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पत्र को शेयर करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने ट्वीट किया, 'डॉक्टर मनमोहन सिंह जी इस असाधारण समय में अगर आपके रचनात्मक सहयोग और आपकी मूल्यवान सलाह का आपके (कांग्रेस) नेताओं द्वारा पालन किया जाता है, तो इतिहास आपके प्रति दयालु होगा.'
हर्षवर्धन पत्र में लिखते हैं, 'COVID-19 से लड़ने के अहम हथियार के रूप में आपने टीकाकरण पर जोर दिया, जिसे हम पूरी तरह से मानते हैं. यही वजह है कि भारत ने दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को शुरू किया है. हम दुनिया में सबसे तेजी से टीकाकरण के 10, 11 और 12 करोड़ जैसे लक्ष्य को हासिल करने वाले देश भी बने हैं.'
उन्होंने आगे लिखा, 'हम देश के प्रति आपकी चिंता को समझते हैं और हम भी आप जैसा ही सोचते हैं. हम आपसे कोविड के खिलाफ लड़ाई में निरंतर सहयोग की उम्मीद करते हैं और भविष्य में भी आपसे मिलने वाली ऐसी सलाहों का स्वागत करते हैं, हालांकि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के नाते हम आपसे उम्मीद करते हैं कि आप अपनी पार्टी के नेताओं को भी यही सलाह देंगे.'
मनमोहन सिंह द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि केवल कुल संख्या को नहीं देखना चाहिए, बल्कि कितने प्रतिशत आबादी को टीका लग चुका है, इसे देखा जाना चाहिए. उन्होंने ये सुझाव भी दिए कि दवा निर्माताओं के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग के प्रावधान लागू किए जाने चाहिए और राज्यों को टीकाकरण के लिए अग्रिम मोर्चे के लोगों की श्रेणी तय करने में छूट देनी चाहिए, ताकि 45 साल से कम उम्र के ऐसे लोगों को भी टीके लग सकें.
डॉक्टर सिंह ने अपने पत्र में लिखा, 'कोविड-19 के खिलाफ हमारी लड़ाई में टीकाकरण बढ़ाने के प्रयास अहम होने चाहिए. हमें यह देखने में दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिए कि कितने लोगों को टीका लग चुका है, बल्कि आबादी के कितने प्रतिशत का टीकाकरण हो चुका है, यह महत्वपूर्ण है. भारत में अभी केवल आबादी के छोटे से हिस्से का ही टीकाकरण हुआ है. उन्होंने विश्वास जताया कि सही नीति के साथ हम इस दिशा में बेहतर तरीके से और बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं.
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