कई मुस्लिम सांसदों ने मंगलवार को कहा कि उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में काम नहीं करेगा और इसे लोकसभा चुनाव से पहले ‘‘ध्रुवीकरण'' के लिए लाया गया है. समाजवादी पार्टी के सांसद एस.टी. हसन ने इस तरह का कानून लाने की आवश्यकता पर सवाल उठाया.
यूसीसी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, ‘‘76 साल से जो हो रहा है, वह जारी रहना चाहिए. यह केवल चुनाव से पहले ध्रुवीकरण के लिए लाया गया है.'' समान नागरिक संहिता विधेयक का विरोध करते हुए एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश की खूबसूरती इसका बहुलवाद है और ‘‘भाजपा इससे नफरत करती है.''
एआईयूडीएफ सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा, ‘‘हमारा देश एक खूबसूरत बगीचे की तरह है और इसकी विविधता ही इसकी खूबसूरती है.'' भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब वे सफल नहीं होते हैं, तो इस तरह से कुछ नया लाने और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं. मोदी जी को खुश करने के लिए समान नागरिक संहिता लाई गई है, लेकिन यह भारत में काम नहीं करेगी और इसे कूड़ेदान में फेंकने की जरूरत है.''
सांसद दानिश अली ने कहा कि यूसीसी विधेयक और कुछ नहीं बल्कि ‘‘लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा का एजेंडा है.'' अली ने कहा, ‘‘राज्य को यूसीसी लाने का कोई अधिकार नहीं है, यह केंद्र सरकार के अधीन आता है. चूंकि वे (भाजपा) विफल हो रहे हैं, इसलिए वे यूसीसी लाए, इससे कुछ नहीं होने वाला है.'' कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि भाजपा पूरे देश को एक रंग में रंगना चाहती है, जबकि देश अपनी विविधता और विभिन्न रंगों के लिए जाना जाता है.
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार ने 10 साल तक शासन किया और ऐसा क्यों है कि ये सब चीजें लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आ रही हैं? उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकार के पास आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और महंगाई तथा महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों से जुड़े सवालों का जवाब नहीं है.''
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