कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में भले ही 14 मई को स्थानीय निकाय चुनाव होने हों, लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने बगैर लड़े ही एक तिहाई से ज्यादा सीटें जीत ली हैं. दरअसल, इन सीटों पर चुनाव के लिए शनिवार को नामांकन की आखिरी तारीख थी. समय-सीमा बीतने के बावजूद विपक्ष की तरफ से किसी उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया. ऐसे में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने निर्विरोध 34 फीसद सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया है.
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तृणमूल कांग्रेस ने बगैर एक भी वोट के सूबे के 58,692 में से 20,000 से ज्यादा सीटें अपने नाम कर ली हैं. पश्चिम बंगाल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब इतनी अधिक संख्या में सीटों पर निर्विरोध उम्मीदवार चुने गए हैं. इन सभी सीटों पर या तो विपक्षी दलों ने अपना नामांकन वापस ले लिया या उनके उम्मीदवारों के दस्तावेज पूरे नहीं थे. बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 'यह लोकतंत्र और जनता के मताधिकार के अधिकार के साथ मजाक है, यह इसी तरह से है जैसे अंडों के बिना ही मुर्गी पैदा हो गई हो'.
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गौरतलब है कि, राज्य में चुनाव की घोषणा के बाद से ही विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि सत्ता पक्ष की हिंसा और आतंक की वजह से उनके उम्मीदवार नामांकन नहीं कर पा रहे हैं. इस मुद्दे पर कोर्ट भी गए हैं. चुनाव आयोग को 9 उम्मीदवारों ने शिकायत की थी कि उन्हें नामांकन स्थल तक नहीं जाने दिया जा रहा है. इसके बाद इन उम्मीदवारों का नामांकन वाट्सएप पर ही स्वीकार किया गया था. आपको बता दें कि, इससे पूर्व वर्ष 2013 में भी ममता बनर्जी की पार्टी ने 10 फीसद सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज की थी.
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गौरतलब है कि, राज्य में चुनाव की घोषणा के बाद से ही विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि सत्ता पक्ष की हिंसा और आतंक की वजह से उनके उम्मीदवार नामांकन नहीं कर पा रहे हैं. इस मुद्दे पर कोर्ट भी गए हैं. चुनाव आयोग को 9 उम्मीदवारों ने शिकायत की थी कि उन्हें नामांकन स्थल तक नहीं जाने दिया जा रहा है. इसके बाद इन उम्मीदवारों का नामांकन वाट्सएप पर ही स्वीकार किया गया था. आपको बता दें कि, इससे पूर्व वर्ष 2013 में भी ममता बनर्जी की पार्टी ने 10 फीसद सीटों पर निर्विरोध जीत दर्ज की थी.
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