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पहाड़ों में तबाही तो मैदानी इलाकों में तपिश, हिमाचल और उत्तराखंड समेत बारिश से कहां कितने बुरे हालात

हिमाचल में आज भी तीन जिलों कांगड़ा, सोलन व सिरमौर और शनिवार को चार जिलों ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा व मंडी में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी स्तर की बारिश होने का अनुमान जताते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.

पहाड़ों में तबाही तो मैदानी इलाकों में तपिश, हिमाचल और उत्तराखंड समेत बारिश से कहां कितने बुरे हालात
हिमाचल, उत्तराखंड में मौसम की मार
  • हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मौसम ने जनजीवन को प्रभावित किया है
  • मंडी में बादल फटने से पांच लोगों की मौत और 16 लापता हैं
  • राज्य में 406 सड़कें बंद हैं, जिनमें मंडी जिले की 248 सड़कें शामिल हैं
  • उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में 54 सड़कें भूस्खलन से बंद पड़ी हैं
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नई दिल्ली:

पहाड़ों की खूबसूरत वादियां इस वक्त मुश्किल दौर से गुजर रही हैं. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मौसम ने अचानक ऐसा रौद्र रूप धारण कर लिया है कि जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. कहीं बादल फटने की घटनाएं तबाही मचा रही हैं तो कहीं मूसलधार बारिश की वजह से भूस्खलन हो रहे हैं. वहीं देश के कई अन्य हिस्सों में भी मौसम की मार जारी है — जबकि उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में उमस और गर्मी से लोग बेहाल हैं, दूसरी तरफ पूर्वी राज्यों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. दक्षिण भारत के भी कुछ इलाकों में तेज हवाओं और भारी बारिश ने जनजीवन को प्रभावित किया है. ऐसे में पूरा देश मौसम की मार झेल रहा है और प्रशासन से लेकर आम नागरिक तक, सभी अलर्ट पर हैं.

मंडी में पांच लोगों की मौत, 16 लापता

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बादल फटने और भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो गई, पांच अन्य घायल हो गए और 16 व्यक्ति लापता हैं. राज्य में मंगलवार को बादल फटने की 11 घटनाएं हुईं, जबकि अचानक बाढ़ की चार और बड़े भूस्खलन की एक घटना हुई. अधिकतर घटनाएं मंडी जिले में हुईं, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ.

हिमाचल के इन इलाकों में बारिश का अलर्ट

आज भी तीन जिलों कांगड़ा, सोलन व सिरमौर और शनिवार को चार जिलों ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा व मंडी में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी स्तर की बारिश होने का अनुमान जताते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) के अनुसार, बारिश के कारण राज्य में कुल 406 सड़कें बंद हैं, जिनमें से 248 अकेले मंडी जिले में हैं। मंडी में 994 ‘ट्रांसफार्मर' पर भी इसका असर पड़ा है. 24 मकान, 12 पशुशालाएं, एक पुल और कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं, 30 मवेशी मारे गए हैं तथा मंडी जिले में फंसे नौ लोगों को बचाने के प्रयास जारी हैं.

उत्तराखंड और हरियाणा में भी अच्छी बारिश की उम्मीद है. दक्षिण की ओर बहने वाली कई नदियां उत्तराखंड से निकलती हैं. इन सभी नदी जलग्रहण क्षेत्रों, शहरों और कस्बों को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए.

नदिया नाले उफान पर, 500 करोड़ का नुकसान

जिले की सभी नदियां और नाले उफान पर हैं और ब्यास नदी पर बने पंडोह बांध से डेढ़ लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है. पंडोह बांध का जलस्तर खतरे के निशान 2,922 फुट के मुकाबले 2,941 फुट तक पहुंच गया है. चंडीगढ़-मनाली चार लेन मार्ग वर्तमान में द्वाडा, झलोगी और बनाला सहित कई स्थानों पर अवरुद्ध है, जबकि कमांद-कटौला-बजौरा मार्ग केवल हल्के मोटर वाहनों (एलएमवी) के लिए खुला है. कई स्थानों पर यातायात संबंधी समस्याओं के कारण यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि 20 जून को मानसून के मौसम की शुरुआत के बाद से अब तक हिमाचल प्रदेश को 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में 54 सड़कें बंद

उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में पिछले 24 घंटे से रुक-रुककर हो रही लगातार बरसात के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. भूस्खलन वजह से मंडल की 54 सड़कों पर आवाजाही बंद हो गई है. यहां भी नदी-नाले उफान पर हैं. भूस्खलन और नदियों से मलबा आने के चलते कुमाऊं मंडल के अलग-अलग जिलों में 54 सड़कें बंद हैं, जिन्हें खोलने के लिए जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी लगातार प्रयास कर रहा है. सबसे अधिक नुकसान बागेश्वर जनपद में हुआ है, जहां मलबा आने से 26 सड़कें बंद है. कुमाऊं कमिश्नर कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार, बागेश्वर जनपद में सबसे अधिक 26 सड़कें बंद हैं. पिथौरागढ़ जनपद में 13, चंपावत जनपद में आठ, अल्मोड़ा जनपद में चार जबकि नैनीताल जनपद में तीन सड़के बंद है. प्रशासन द्वारा मिले आंकड़ों के अनुसार, बंद अधिकतर सड़के जिला और ग्रामीण मार्गों की हैं.

अगले 6-7 दिन में भारी बारिश होने का पूर्वानुमान

आईएमडी ने मंगलवार को कहा कि अगले छह, सात दिन में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बहुत भारी स्तर की बारिश होने का पूर्वानुमान है. विभाग ने कहा कि इस अवधि के दौरान उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में मानसून सक्रिय रहेगा. विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और झारखंड में भी भारी बारिश का पूर्वानुमान है जबकि झारखंड और ओडिशा में कुछ दिनों में भारी बारिश हो सकती है.

कोंकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात में भारी बारिश

आईएमडी ने कहा कि कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात में कुछ स्थान पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है. विभाग ने कहा कि सौराष्ट्र और कच्छ में भी अगले सात दिन में भारी बारिश हो सकती है जबकि इस अवधि के दौरान पूर्वोत्तर भारत में अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी स्तर की बारिश होने का पूर्वानुमान है. आईएमडी ने कहा कि तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक में सप्ताह के कुछ दिन में भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग ने सोमवार को, जुलाई में देश में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान जताया था और बाढ़ के खतरे के कारण मध्य भारत, उत्तराखंड और हरियाणा के अधिकारियों और लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी है.

पूर्वी भारत के लिए मौसम विभाग का क्या अनुमान

विभाग ने कहा कि पूर्वोत्तर के बड़े हिस्से, पूर्वी भारत के कई इलाकों और दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में बारिश सामान्य से कम होने का पूर्वानुमान है. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि मध्य भारत और उससे सटे दक्षिणी प्रायद्वीप में भारी बारिश का पूर्वानुमान है. उन्होंने कहा कि इसमें पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, विदर्भ और तेलंगाना के आसपास के इलाके और गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल हैं. महापात्रा ने कहा, 'हमें गोदावरी, महानदी और कृष्णा जैसी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों पर नजर रखनी चाहिए. हमें ऊपरी महानदी जलग्रहण क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना का पता चला है, जिसमें छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश शामिल हैं. इस क्षेत्र में कई अन्य नदियां हैं. हमें वर्षा की गतिविधि और जलाशयों में जल स्तर पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए.”

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