जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि जबरन धर्मांतरण नहीं हो सकता. ये एक गंभीर मामला है. SG तुषार मेहता ने केंद्र द्वारा दायर हलफनामा पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की.
हालांकि, मामले में एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से संजय हेगड़े ने कहा कि मैं इस जनहित याचिका का विरोध करता हूं. इस पर जस्टिस शाह ने क्या आपके कहने का मतलब है कि हमें जबरन धर्मांतरण की अनुमति देनी चाहिए? कोर्ट को जवाब देते हुए हेगड़े ने कहा कि इस याचिकाकर्ता का एक राजनीतिक चेहरा है. उन्होंने पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट में एक ही याचिका दायर की थी और यहां दोनों बार इसे वापस ले लिया गया था.
उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक हित याचिका है. उन्होंने कहा कि यह मामला res-judicata (यदि किसी विषय पर अन्तिम निर्णय दिया और उसके आगे उसके लिए अपील नही किया जा सकता तो यह मामला फिर से उसी न्यायालय या किसी दूसरे न्यायालय में नहीं उठाया जा सकता) के तहत आता है.
वकील संजय हेगड़े ने कहा कि ऐसी याचिका पहले तीन जजों की पीठ खारिज कर चुकी है. पीठ ने कहा कि मामले पर हम सुनवाई करें या कोई और, क्या फर्क पड़ता है? अब सुप्रीम कोर्ट पांच दिसंबर को इस मामले में सुनवाई करेगा.
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