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This Article is From Sep 01, 2022

पैकेटबंद फूड प्रोडक्ट्स पर हो अनिवार्य चेतावनी, 91.4 प्रतिशत भारतीयों ने जताई इच्छा : सर्वे

यह ऑनलाइन सर्वे 2 से 6 जुलाई, 2022 तक किया गया, जिसमें 22,647 लोगों ने हिस्सा लिया. ट्विटर पर किए गए इस सर्वे में अंग्रेजी और हिंदी दोनों में सवाल पूछे गए थे. 

पैकेटबंद फूड प्रोडक्ट्स पर हो अनिवार्य चेतावनी, 91.4 प्रतिशत भारतीयों ने जताई इच्छा : सर्वे
नई दिल्ली:

भारत के 91.4 प्रतिशत नागरिक चाहते हैं कि पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर अनिवार्य चेतावनी (फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग) की व्यवस्था शुरू की जाए. एक ऑनलाइन सर्वे में यह बात सामने आई है. सर्वे के नतीजे बताते हैं कि खतरे के बारे में साफ चेतावनी उपभोक्ताओं को सबसे उपयोगी लगी है. ऐसी व्यवस्था में डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में वसा, नमक या चीनी की मात्रा अधिक हो तो पैकेट के ऊपर स्पष्टता और प्रमुखता से 'वसा/नमक/चीनी ज्यादा है' (high-in fat/salt/sugar) लिखा होना चाहिए. 

इस ऑनलाइन सर्वे में 20 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया. उनका मानना है कि उपभोक्ताओं की पसंद का ध्यान रखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) फूड लेबलिंग के बहुप्रतीक्षित मसौदा विनियमन को समय पर जारी करे. यह पूछे जाने पर कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से निर्धारित सीमा से अधिक वसा, नमक और चीनी के स्तर को दर्शाने वाले चेतावनी लेबल से क्या वे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे, सर्वे में शामिल 99 प्रतिशत लोगों ने इसका जवाब “हां” में दिया. 

वहीं, 95 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि फूड पैकेट्स पर दिए गए चेतावनी लेबल में वसा, नमक और चीनी की मात्रा को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाए. डब्ल्यूएचओ ने उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों में वसा, चीनी और नमक की वैज्ञानिक सीमा निर्धारित की है. 

यह ऑनलाइन सर्वे 2 से 6 जुलाई, 2022 तक किया गया, जिसमें 22,647 लोगों ने हिस्सा लिया. ट्विटर पर किए गए इस सर्वे में अंग्रेजी और हिंदी दोनों में सवाल पूछे गए थे. 

सर्वे करवाने वाले गैर सरकारी संगठन इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस, पॉलिसीज एंड पॉलिटिक्स (IGPP) के डायरेक्टर  मनीष तिवारी का कहना है, “ डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर स्पष्ट चेतावनी लेबल का मकसद उपभोक्ताओं को उनमें मौजूद चीनी, नमक और संतृप्त वसा की मात्रा से अवगत कराना है. इस कदम से उपभोक्ता अस्वस्थकर खाद्य पदार्थों के सेवन के प्रति हतोत्साहित हो सकते हैं.”

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