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This Article is From Jul 19, 2022

"सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो.." : भर्ती के लिए जाति सर्टिफिकेट मांगने पर तेजस्‍वी यादव का मोदी सरकार पर 'वार'

.दरअसल, मामला इस फॉर्म में उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने का है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि सेना में भर्ती के लिए जाति-धर्म पूछा जा रहा है.

"सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो.." : भर्ती के लिए जाति सर्टिफिकेट मांगने पर तेजस्‍वी यादव का मोदी सरकार पर 'वार'
सेना में भर्ती के लिए जाति सर्टिफिकेट मांगने पर तेजस्‍वी यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा
नई दिल्‍ली:

Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना के लिए भर्ती में जाति/धर्म प्रमाणपत्र मांगने को लेकर राष्‍ट्रीय जनता दल नेता तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी ने इस मुद्दे पर एक ट्वीट में लिखा, "आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी. सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी. सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?"इससे पहले, एक अन्‍य ट्वीट में आरजेडी नेता ने लिखा था, "जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की. संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है. ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा."

गौरतलब है कि सेना में भर्ती की नई योजना, अग्निपथ के तहत भर्ती के लिए निकले फॉर्म का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं.दरअसल, मामला इस फॉर्म में उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने का है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि सेना में भर्ती के लिए जाति-धर्म पूछा जा रहा है.

हालांकि, सरकारी सूत्रों ने इन आरोपों को खारिज किया है कि यह पहली बार हो रहा है और कहा कि यह सिस्टम ब्रिटिश राज से चला आ रहा है. सूत्रों ने कहा कि आजादी के बाद एक स्पेशल आर्मी ऑर्डर के जरिए 1949 में यह प्रावधान तय किया गया था. मोदी सरकार ने अब कोई नया बदलाव नहीं किया है और सात दशकों से सेना के चले आ रहे प्रावधानों का ही पालन कर रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मुद्दे को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि विपक्ष जाति प्रमाण पत्र पर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि "कहीं न कहीं राजनीति करते-करते देश की सेना को बदनाम करने की कोशिश है." उन्होंने धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने को लेकर कहा कि "सेना साफ-साफ कहती है कि हमारी भर्ती में धर्म की कोई जगह नहीं है. लेकिन धर्म की जानकारी इसलिए मांगी जाती है कि दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में अगर कोई जवान शहीद हो जाता है तो इससे यह तय हो सके कि उसकी अंत्येष्टि, उसकी अंतिम क्रियाएं कैसे करनी हैं."

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