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This Article is From Jan 13, 2016

एक अमेरिकी कानून ने भारतीय दंपति से 'छीन' लिया उसका दुधमुंहा बच्‍चा

एक अमेरिकी कानून ने भारतीय दंपति से 'छीन' लिया उसका दुधमुंहा बच्‍चा
मामूली से एक्‍सीडेंट के बाद दुधमुंहे अष्विद को फोस्‍टर पेरेंटस को सौंप दिया गया है।
जयपुर: अमेरिका के एक कानून ने ढाई महीने के दुधमुंहे  बच्चे को उसके भारतीय मां-बाप आशीष और विदिशा से अलग कर दिया है। इस दंपति का कसूर केवल इतना है कि बच्चा मां की गोद से छिटक कर गिर गया और अस्पताल में भर्ती करने के बाद वह के कानून ने मां-बाप पर 'शाकिंग बेबी सिंड्रोम' लगाकर बच्चे को पालने के लिए फोस्टर पेरेंट्स  को सौप दिया है।  जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

मामले में आशीष ने ली अदालत की शरण
आशीष ने इस मामले में अमेरिका में अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अगली सुनवाई 16 जनवरी को है। परिवार ने भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और भारतीय दूतावास को भी ई-मेल कर अमेरिका सरकार से संवाद स्थापित कर मदद की गुहार लगाई है।
 

न्‍यूजर्सी में टीसीएस में कार्यरत हैं आशीष
यह कहानी है आशीष, उसकी पत्नी विदिशा और ढाई महीने के बच्चे अष्विद की। आशीष टाटा कंसल्टेंसी में प्रोजेक्ट मैनेजर है और न्यू जर्सी में काम करता है। बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए जब मां-बाप जा रहे थे तो अष्विद मां की गोद से नीचे जा गिरा और उसके सर पर चोट आई। बच्चे के गोद  से गिरने के बाद अमेरिकी क़ानून ऐसा आड़े आया कि बच्चे को दस दिन से मां का दूध भी नसीब नहीं हो पाया है। बच्‍चे के मां-बाप पर 'शाकिंग बेबी सिंड्रोम' का आरोप लगा है।यानी इलज़ाम है कि मां ने बच्चे को जान-बूझकर नीचे पटका।

मां कुछ ही देर के लिए मिल पा रही बच्‍चे से
फिलहाल हालत यह है कि मां को भी कुछ ही देर के लिए मिलने दिया जा रहा है। परिजनों का यहां पर  रो-रोकर बुरा हाल है। जब हादसा हुआ तो बच्चे के दादा-दादी भी वही मौजूद थे। सवाल यह उठता है कि कोई अपने सीने के टुकड़े को क्यों मारने की कोशिश करेगा।बच्‍चे की बुआ प्रतिभा ने कहा, मम्मी-पापा का वहां रो-रोकर बुरा हाल है। बच्चे की चिंता है। वहां फॉरेन कंट्री में इतना बड़ा केस हो गया है। ये तो महज एक एक्सीडेंट था बेबी हाथ से गिर गया और ऐसा एक्सीडेंट तो किसी भी देश में हो सकता है।
 

अक्टूबर 2015  में अष्विद का हुआ था जन्‍म
अष्विद के पास अमेरिका का पासपोर्ट है। शिशु के गिरने के बाद उसके माता-पिता और दादा-दादी उसे अस्पताल ले गए। इस अस्पताल के डॉक्‍टर डिपार्टमेंट ऑफ चाइल्ड प्रोटेक्शन एंड परमानंसी से  जुड़े थे और वहां की चाइल्ड केयर सोसाइटी का मानना है कि बच्चे को सर पर चोटें आई है। मां-बाप ने बच्चे को जानबूझकर गिराकर हानि पहुंचाई है और 'शाकिंग बेबी  सिंड्रोम' की धारा लगा बच्चे को मां-बाप से अलग कर दिया गया है। अब कानूनी लड़ाई का खर्च उठाना बहुत भारी पढ़ रहा है। इस पर बड़ी राशि खर्च हो रही है आशीष की आय उतनी नहीं है।

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