
- जयपुर के 71 वर्षीय ताराचंद अग्रवाल ने चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा पास कर नई मिसाल कायम की है.
- उनसे पहले केरल की कार्तियानी अम्मा ने 96 वर्ष की उम्र में चौथी की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था.
- भागीरथी अम्मा ने 105 साल की उम्र में चौथी की परीक्षा पास की थी. उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार भी मिला था.
कहते हैं, हौसले मजबूत हों और दिल में जुनून हो तो मंजिल को हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता. राजस्थान की राजधानी जयपुर के रहने वाले ताराचंद इसकी ताजा मिसाल बने हैं. ताराचंद की उम्र 71 साल है. इतनी उम्र में अक्सर लोग दुनियादारी से दूर होकर सुकून की जिंदगी तलाशते हैं. लेकिन ताराचंद ने उम्र के इस मुकाम को अपनी अधूरी मुराद पूरी करने का जरिया बना लिया. 71 साल की उम्र में उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) की परीक्षा पास की है. लेकिन ताराचंद भारत में अकेले ऐसे इंसान नहीं हैं. उनसे पहले भी कई लोगों ने उम्र की बेड़ियों को तोड़कर शिक्षा के अपने सपने को पूरा किया है. आइए इनके बारे में बताते हैं.
ताराचंद अग्रवाल
जयपुर के ताराचंद अग्रवाल स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर इंडिया में काम करते थे. रिटायर होने के बाद उन्होंने न सिर्फ सीए बनने का सपना देखा बल्कि उसे पूरा करने के लिए मेहनत भी की. सीए की परीक्षा के देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है. ताराचंद अपनी पोती की सीए की परीक्षा के लिए तैयारी करवाते थे. इसी दौरान उनकी रुचि इसमें जागी और उन्होंने खुद ये परीक्षा देने का फैसला किया.

ताराचंद अग्रवाल ने 71 साल की उम्र में उन्होंने चार्टर्ड अकाउंटेंट की परीक्षा पास की है.
रविवार को जब सीए परीक्षा के नतीजे जारी हुए तो पास होने वालों में ताराचंद भी थे. इस कठिन परीक्षा को पास करने की उनकी प्रेरणा उनकी पोती थी, जिसने उन्हें इसके लिए प्रेरित किया. ताराचंद की इस उपलब्धि को सोशल मीडिया पर खूब तारीफ मिल रही है. कई चार्टर्ड अकांउटेंट्स ने उनकी कामयाबी को शेयर किया है.
ये भी उम्र की सीमाएं तोड़कर बन गए मिसाल
कार्तियानी अम्मा
केरल के अलप्पुझा जिले की कार्तियानी अम्मा ने 96 साल की उम्र में चौथी क्लास की समकक्ष परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया था. केरल राज्य साक्षरता मिशन के 'अक्षरलक्षम' कार्यक्रम के तहत उन्होंने 40,362 लोगों को पछाड़कर 98 फीसदी नंबर हासिल किए थे. इसके बाद वह केरल लिटरेसी मिशन की पोस्टर गर्ल बन गईं.

कार्तियानी अम्मा को 2020 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था.
कार्तियानी ने बचपन में गरीबी के कारण स्कूल छोड़ दिया था. शादी के बाद उनके पति की मौत हो गई तो मंदिरों में साफ-सफाई करके छह बच्चों का पालन-पोषण किया. अपनी बेटी के 60 साल की उम्र में परीक्षा पास करने से प्रेरित होकर उन्होंने लिटरेसी मिशन के तहत पढ़ाई शुरू की. साल 2020 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था. यह देश में महिलाओं का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है. वह कॉमनवेल्थ गुडविल एंबेसडर भी रही थीं.
भागीरथी अम्मा
केरल के कोल्लम की रहने वाली भागीरथी अम्मा ने 105 साल की उम्र में चौथी कक्षा के समकक्ष परीक्षा पास करके नई मिसाल कायम की थी. उन्होंने 2019 में केरल स्टेट लिटरेसी मिशन के तहत चौथी की परीक्षा पास की थी और सबसे बुजुर्ग विद्यार्थी होने की खिताब अपने नाम किया था. उन्हें 275 में से 205 अंक और गणित में पूरे अंक मिले थे.

भागीरथी अम्मा ने 105 साल की उम्र में चौथी कक्षा के समकक्ष परीक्षा पास की थी.
9 साल की उम्र में मां की मौत और छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी के कारण भागीरथी अम्मा की पढ़ाई छूट गई थी. लेकिन उन्होंने 105 साल की उम्र में अपनी अधूरी ख्वाहिश पूरी की. इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में उनकी तारीफ की थी. केंद्र सरकार ने उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था. 2021 में 107 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था.
राज कुमार वैश्य
राज कुमार वैश्य ने 98 साल की उम्र में पटना के नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी से इकनोमिक्स में एमए की परीक्षा सेकंड डिवीजन से पास की थी. इसके लिए उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी मास्टर डिग्री प्रोग्राम में दाखिला लेने वाले भारत के सबसे उम्रदराज व्यक्ति के रूप में दर्ज किया गया था.

98 साल की उम्र में राज कुमार वैश्य का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था.
1920 में बरेली में जन्मे राजकुमार वैश्य ने अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री 1938 में थी. 1980 में वह झारखंड की एक प्राइवेट कंपनी से रिटायर हुए. उसके बाद 2016 में वह एमए फर्स्ट इयर के एग्जाम में बैठे और उसके अगले साल 2017 में सेकंड इयर का एग्जाम दिया. खबरें बताती हैं कि उस दौरान उन्होंने इंग्लिश में दो दर्जन शीट भर दी थीं.
लालरिंगथारा
मिजोरम के लालरिंगथारा ने 2018 में 73 साल की उम्र में 5वीं की परीक्षा पास की थी. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया था कि जब वह दो साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. इसके बाद उनका मां ने उन्हें और उनके भाई-बहनों को पाला. इसकी वजह से लालरिंगथारा अपने गांव खुआंगलेंग में दूसरी क्लास तक की ही पढ़ाई कर पाए थे. लेकिन 73 साल की उम्र में उन्होंने अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए फिर से स्कूल का रुख किया. मिजोरम-म्यांमार बीमा पर स्थित चंपाई के न्यू ह्रूयाईकॉन के अपर मिडिल स्कूल में उन्होंने 5वीं की पढ़ाई की.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं