विज्ञापन
This Article is From Sep 06, 2022

"सतलुज यमुना लिंक मामले में पंजाब सरकार नहीं कर रही सहयोग" : केंद्र सरकार ने SC में लगाया आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि लिंक नहर का निर्माण करना ही होगा, उसमें कितना पानी आएगा ये बाद में तय किया जाएगा.

"सतलुज यमुना लिंक मामले में पंजाब सरकार नहीं कर रही सहयोग" : केंद्र सरकार ने SC में लगाया आरोप
प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्‍ली:

20 साल पुराना पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज यमुना लिंक यानी (Sutlej Yamuna link or SYL) मामला फिर गरमा गया है. केंद्र सरकार ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार मामले में सहयोग नहीं कर रही है. नए CM को भी पत्र लिखा गया लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. इससे पहले भी केंद्र सरकार पंजाब के पहले के मुख्यमंत्रियों से बात करती रही लेकिन कोई हल नहीं निकला. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब के मुख्यमंत्री को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की देखरेख में हरियाणा के CM से मिलकर मतभेद और समाधान के लिए प्रयास करने को कहा है. जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने कहा, ''प्राकृतिक संसाधनों को साझा किया जाना चाहिए, खासकर पंजाब में सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए सभी पार्टियों को इस मामले में सहयोग करना चाहिए." AG के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र ने पूर्व में भी पंजाब के CM को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.अप्रैल में पंजाब के नए CM को एक पत्र लिखा गया था और उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है. SC ने पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में बातचीत करके समाधान के लिए प्रयास करने को कहा है. इस संबंध में 15 जनवरी 2023 को आगे की सुनवाई होगी. जुलाई 2020 में भी सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री को निर्देश देते हुए कहा था कि वो आपस मे मीटिंग करके यह बताए कि इस समस्या का हल निकाल सकते है या नहीं.  

मामले की सुनवाई करते हुए इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि "इस समस्या का समाधान निकलना चाहिए". सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार महीनों के समय दिया था. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले में उन्हें आपसी बातचीत से समाधान निकालने के लिए 3 महीनों के वक्त चाहिए. केंद्र सरकार ने कहा था कि हम दोनों राज्य सरकारों यानी (हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार) के संपर्क में है और बातचीत चल रही है. कोर्ट ने कहा था कि आप तीन नही चार महीनों के समय लीजिए, वही हरियाणा सरकार ने कहा था कि इस मामले में एक टाइम लाइन होना चाहिए. ऐसा न हो ये मामला अनंत काल तक चलता रहे. सुनवाई मे  केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि केंद्र SYL विवाद का हल निकालने के लिए गंभीर है. केंद्र ने दोनों राज्यों के साथ हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये सुप्रीम कोर्ट का आदेश है जिसका पालन देश के सभी नागरिकों को करना चाहिए. अगर केंद्र दोनों राज्यों से बातचीत का हल निकलता तो कोर्ट सुनवाई जारी रखेगा. 

कोर्ट ने साफ किया था कि लिंक नहर का निर्माण करना ही होगा, उसमें  कितना पानी आएगा ये बाद में तय किया जाएगा. कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब को कानून व्यवस्था बनाए रखने के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि सतलुज यमुना लिंक को लेकर यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश बरकरार रहेंगे. राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी दोनों राज्यो पर है पंजाब और हरियाणा दोनों सुनिश्चित करेंगे कि लिंक नहर को लेकर कानून व्यवस्था ना बिगड़े. कोर्ट ने नाराजगी भी जाहिर की थी कि देश की सबसे बडी अदालत इस मामले मे आदेश जारी कर चुकी है लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है. वहीं SYL मामले में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि अधिसूचना के बाद किसानों को दी गयी जमीनों को वापस लेना संभव नहीं है. पंजाब सरकार ने कहा था ये केंद्र  की जिम्मेदारी थी कि वो दो राज्यो के बीच जल बंटवारे को लेकर मीडिएटर की भूमिका अदा करे लेकिन केंद्र ने ऐसा कभी नहीं किया. केंद्र सरकार ने कभी भी दोनों राज्यों के बीच चल रही जल बंटवारे की समस्या को खत्म करने की कोशिश नहीं की. केंद्र सरकार की ये जिम्मेदारी थी कि वो वाटर ट्रिब्यूनल का गठन करे लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. हरियाणा ने  पंजाब सरकार को नहर की जमीन किसानों को वापस देने से रोके जाने की मांग की है. 

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने जमीन वापस दिए जाने पर यथास्थिति बरकरार रखते हुए कमेटी से जमीनी हकीकत की रिपोर्ट मांगी थी. गौरतलब है कि 10 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब द्वारा पड़ोसी राज्यों के साथ सतजुल यमुना लिंक नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाए गए कानून को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए रेफरेंस पर दिए फैसले में कहा था कि वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सभी रेफरेंस पर अपना नकारात्मक जवाब देते हैं. पंजाब सरकार करार रद्द करने के लिए एकतरफा फैसला नहीं ले सकती. कोर्ट ने कहा कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, इंटर स्टेट नदी जल विवाद एक्ट और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने साफ किया था कि पंजाब अन्य राज्यों से किए गए एग्रीमेंट के बारे में एकतरफा फैसला नहीं ले सकता.  

* अशोक गहलोत पर सचिन पायलट का तीखा तंज- 'कम से कम एक-दूसरे पर कीचड़ न उछालें'
* पाकिस्तान ने तोड़ा सीजफायर, बीएसएफ जवानों ने भी दिया फायरिंग का जवाब
* भारी बारिश में पानी-पानी हुआ बेंगलुरु, घंटों ट्रैफिक में फंसे लोग, सड़कें-रिहायशी इलाके जलमग्न : 10 बड़ी बातें

शराब नीति मामले में CBI के बाद अब ED की इंट्री, दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com