'हाथरस मामले (Hathras Case) में हाईकोर्ट को सुनवाई करने दें. हम यहां नजर रखने के लिए बैठे हैं.' सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाथरस मामले में सुनवाई करते हुए गुरुवार को को यह टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) भेजने का संकेत दिया. CJIने पूछा, 'इस मामले को पूरी तरह से इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा क्यों नहीं सुना जाना चाहिए. मुझे लगता है कि पिछली बार सभी वकीलों ने यह सुझाव दिया था कि यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट जाना चाहिए.' CJI एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच यह सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि वो और अर्जियों पर सुनवाई नहीं करेगा. CJI ने कहा कि हमें संसार भर की सलाह नही चहिए. हमनें आरोपी/सरकार/पीड़ित को सुन लिया है ये काफी है.अब किसी भी नई अर्जी पर सुनवाई नहीं करेंगे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा. सुप्रीम कोर्ट मामले में यह तय करेगा कि सीबीआई जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट करेगा या हाईकोर्ट, ट्रायल को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए या नहीं और पीड़ित परिवार व गवाहों की सुरक्षा यूपी पुलिस करेगी या CRPF.
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मामले में यूपी सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमने परिवार के सभी लोगों को सुरक्षा प्रदान की है.पीड़िता के परिवार के सभी लोगों को 3 लेयर की सुरक्षा में रखा गया है. इसके साथ ही घर पर CCTV कैमरा लगा दिया है. सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की. सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा का विवरण दिया. यूपी सरकार की ओर से 14 अक्तूबर को दिए हलफनामे के मुताबिक किन-किन परिजनों को निजी सुरक्षा दी गई है, इसका ब्योरा दिया. यह भी बताया गया कि CCTV कहां कहां लगाए गए हैं
पीड़िता के भाई के हवाले से कहा गया कि उन्होंने सीमा कुशवाहा को वकील तय किया है. वैसे सरकारी वकील भी सहायता के लिए मौजूद रहेंगे.सीमा कुशवाहा ने कहा कि पीड़ित परिवार की ओर से कहा गया कि जांच पूरी होने के बाद ट्रायल दिल्ली में हो. सीमा कुशवाहा ने कहा कि गवाहों और पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. उन्होंने कहा कि सीबीआई अपनी जांच की रिपोर्ट सीधे सुप्रीम कोर्ट को दे. इस पर यूपी सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने कहा कि इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग सुप्रीम कोर्ट कर सकता है और यूपी सरकार को कोई आपत्ति नही है. यूपी सरकार निष्पक्ष जांच और न्याय के प्रतिबद्ध है. मामले में CJI ने कहा कि हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई करने दें.हम यहां नजर रखने के बैठे हैं. पीड़ित परिवार की वकील ने कहा कि सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए न कि राज्य सरकार के पास. इस पर यूपी सरकार ने भी सहमति जताई.
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यूपी सरकार सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपने आदेश में पीड़ित परिवार का जिक्र किया जो IPC के तहत सही नही है.
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि सरकार को तो इस मामले की सीबीआई जांच से भी गुरेज नहीं रहा है. राज्य सरकार पूरा सहयोग कर रही है.पीड़िता के पिता माता सहित कई परिजनों को सुरक्षा दी जा रही है.लेकिन जो लोग पीड़िता के परिवार का नाम, पहचान सार्वजनिक कर रहे हैं वो दंड के भागीदार है. यह अपराध है. इसे आधिकारिक दस्तावेजों से डिलीट किया जाए, इस पर सीजेआई ने कहा कि उन्हें डिलीट कर दिया जाएगा. एसजी ने कहा कि अजनबी लोग अगर मामले में घुस जाएं तो इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए. पीड़ित, सरकार, जांच एजेंसी सब तो हैं.फिर ये अनावश्यक घुसपैठ क्यों? लोकस के आधार पर ये मनमानापन रोकना चाहिए.
याचिकाकर्ता की वकील इंद्रा जय सिंह ने कहा कि आज उस अर्जी पर भी सुनवाई होनी है जिसमें ट्रॉयल यूपी से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है इस पर सीजेआई ने पूछा, अर्जी कहाँ है तो इंद्रा जय सिंह ने कहा कि कुशवाहा ने वो अर्जी दाखिल की है.वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा एक आरोपी की तरफ से पेश हुए, जैसे ही बहस करना शुरू किया इंदिरा जयसिंह ने ऐतराज जताया. लूथरा ने कहा कि आप एक याचिकाकर्ता की तरफ से बहस कर रही है जिसकी अर्जी अभी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार नही की है. इस पर इंद्रा जय सिंह ने कहा कि ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर हो और सुप्रीम कोर्ट इसके लिए एक विशेष वकील की नियुक्ति करे. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को केंद्रीय सुरक्षा बल की सुरक्षा प्रदान की जाए न कि यूपी पुलिस की. यही नहीं,इस मामले में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति की जानी चाहिए. आरोपी के लिए सिद्धार्थ लूथरा ने कहा fdपीड़िता के परिवार या राज्य द्वारा जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए.
यूपी के लिए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि तीस्ता शीतलवाड का कोई लोकस नहीं है. किसी को भी पीड़ित के नाम पर धन इकट्ठा करने का अधिकार नहीं है.आरोपी की तरफ से सिद्धार्थ ने कहा कि पीड़ित परिवार जांच की जानकारी लीक कर रहा है, जिस पर उन्हें आपत्ति है. इस पर CJI ने कहा कि इस बात को उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष रखना.तीस्ता सीतलवाड़ का इससे कोई लेना देना नहीं है. कोई भी पीडित के नाम पर धन उगाही नहीं कर सकता. ऐसा करने वालों की पहचान कर रोकना ज़रूरी है.तीस्ता के संगठन सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस की ओर से अपर्णा भट्ट ने कहा कि हमारी चिंता जायज है. पुलिस महानिदेशक की ओर से हरीश साल्वे बोले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. आपके जो भी आदेश होंगे हम वैसा ही इंतजाम करेंगे. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि परिवार या गवाहों की सुरक्षा के लिए CRPF की आवश्यकता नहीं है क्योंकि राज्य पूरी तरह से गैर पक्षपातपूर्ण है.
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