प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में CJI यू यू ललित की बेंच ने सुनवाई की और केंद्र सरकार को 31 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर 14 नवंबर को सुनवाई करेगा. केंद्र ने इस मामले में वक्त मांगा था और कहा अभी विचार किया जा रहा है कि क्या जवाब दाखिल करें या नहीं. क्या हलफनामा दाखिल करना है या नहीं. तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए 2 हफ्ते का समय मांगा था.
वहीं CJI ललित ने कहा केंद्र को एक जवाब दाखिल करना ही चाहिए. ये हमें किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद करेगा. आपको पहले भी समय दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता सारे सवाल केंद्र के वकील को देंगे. वो सारे कागजात इकट्ठा कर डिजिटलाइज तरीके से सभी याचिकाकर्ताओं को देंगे. सभी वकील तीन पेजों की लिखित दलील देंगे.
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याचिकाओं में कहा गया है यह कानून संविधान द्वारा दिए गए न्यायिक समीक्षा के अधिकार पर रोक लगाता है. कानून के प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 13 के तहत दिए गए अदालत जाने के मौलिक अधिकार के चलते निष्प्रभावी हो जाते हैं. ये ऐक्ट समानता, जीने के अधिकार और पूजा के अधिकार का हनन करता है.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2021 में 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट( पूजा स्थल कानून) की वैधता का परीक्षण करने पर सहमति जताई थी. अदालत ने इस मामले में भारत सरकार को नोटिस जारी कर उसका जवाब मांगा था. बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में कहा है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट को खत्म किए जाने की मांग की है ताकि इतिहास की गलतियों को सुधारा जाए और अतीत में इस्लामी शासकों द्वारा अन्य धर्मों के जिन-जिन पूजा स्थलों और तीर्थ स्थलों का विध्वंस करके उन पर इस्लामिक ढांचे बना दिए गए, उन्हें वापस उन्हें सौंपा जा सकें जो उनका असली हकदार हैं
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