एल विक्टोरिया गौरी की मद्रास हाईकोर्ट में जज पद पर नियुक्ति रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है. उनकी नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई में सुनवाई हुई. ये सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने की. मद्रास हाईकोर्ट के कुछ वकीलों ने अपनी अर्जी में कहा है कि विक्टोरिया इस पद के योग्य नहीं हैं. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की विशेष पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने वकील रामचंद्रन ने पूछा एलिजिबिलिटी के पॉइंट पर आपकी आपत्ति है. उन्होंने कहा कि हां उनके माइंड सेट के बारे में चीजों को कॉलेजियम से छुपाया गया.
जस्टिस गवई ने कहा कि ऐसा नहीं है कि कॉलेजियम को ये नहीं पता होगा. एजेंसियों व जजों से परामर्श करता है कॉलेजियम. कॉलेजियम ने ये भी कहा है कि राजनितिक जुड़ाव जज नियुक्त ना करने का कोई कारण नहीं है. यहां तक कि मेरा भी एक राजनीतिक पार्टी का बैकग्राउंड रहा है, लेकिन 20 साल से मैं उसमें नहीं हूं. रामचंद्रन ने कई जजों के नाम गिनाए और कहा कि राजनीतिक जुड़ाव नहीं हेट स्पीच मुद्दा है. जस्टिस गवई ने कहा कि वो अभी एडिशनल जज बन रही हैं. क्या कॉलेजियम को मौका नहीं मिलना चाहिए. ऐसा लगता है कि आपको कॉलेजियम पर भरोसा नहीं है ?
रामचंद्रन ने भी जस्टिस आफताब आलम, जस्टिस रमा जॉइस, जस्टिस राजेंद्र सच्चर सहित कई जजों के नाम गिनाए जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही थी. कई तो रेडिकल ऑर्गेनाइजेशन से भी जुड़े थे लेकिन वो हेट स्पीच वाले नहीं थे. लेकिन ये मामला खुले आम अनैतिक और नफरती बयान वाला है. जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि कोलेजियम ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद फैसला किया है. रामचंद्रन ने कहा कि अमूमन गुरुवार या शुक्रवार को वारंट जारी होता है. पहली फरवरी को रिप्रेजेंटेशन दिया गया. छह फरवरी को वारंट जारी कर दिया गया. हमने पांच दिन पहले आपत्ति जताई.
कोर्ट ने शपथ ग्रहण से पांच मिनट पहले सुनवाई शुरू की है. क्या पांच मिनट में इतने बड़े मामले में कोर्ट निर्णय ले लेगा? जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इधर उधर की बातें करने का कोई मतलब नहीं रह जाता. आप कॉलेजियम को गाइड नहीं कर सकते कि जजों का चुनाव कैसे हो. हम कॉलेजियम को निर्देश नहीं दे सकते कि वो फिर से विचार करे. सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ इस मामले में दायर की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि हम ऐसी याचिकाओं को इंटरटेन नहीं करते, ये एक गलत मिसाल पेश करेगा. कॉलेजियम ने इस पर विचार किया था.
जानें क्यों हो रहा है विरोध
विक्टोरिया की नियुक्ति को चुनौती देते हुए दलील दी है कि उनका जाहिर तौर पर एक राजनीतिक दल से जुड़ाव रहा है. उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स से पता चलता है कि वो बीजेपी महिला मोर्चा की महासचिव भी रह चुकी हैं. कुछ साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खुद को जोड़ते हुए उन्होंने अपने नाम के पीछे चौकीदार शब्द भी लगा लिया था. उसके अलावा आरोप लगाया गया है कि अपनी पार्टी की विचार धारा के मुताबिक ही विक्टोरिया गौरी कई अवसरों पर लव जिहाद और अन्य साम्प्रदायिक मुद्दों पर सार्वजनिक तौर पर मुसलमानों और ईसाइयों के प्रति नफरत और विद्वेष बढ़ाने वाले बयान भी दे चुकी हैं .याचिका में ये भी कहा गया है कि गौरी ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से ऐसी ही कई बातें छुपाई हैं. उनकी नियुक्ति रोकी जाए.
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