भारत में ही बने विमानवाहक पोत, यानी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत ने सोमवार को फिक्स्ड-विंग विमान की पहली सफल लैंडिंग करवाकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की, जब तेजस लड़ाकू विमान यहां उतरा. स्वदेशी लड़ाकू विमान ने समुद्री परीक्षणों के दौरान विमानवाहक पोत के फ्लाइट डेक से सफलतापूर्वक उड़ान भरी, और फिर यहीं आकर उतरा.
NDTV से बात करते हुए, तेजस के पूर्व टेस्ट पायलट कमॉडोर जयदीप मावलंकर (सेवानिवृत्त), जिनके नेतृत्व में तेजस का नौसेना वेरिएन्ट विकसित किया गया है, ने उन चुनौतियों के बारे में बताया, जो एक लड़ाकू विमान को विमानवाहक पोत पर लैंड कराने में सामने आती हैं.
कमॉडोर मावलंकर ने बताया, "छोटे जहाज़ पर लैंड करना मुश्किल होता है, सब कुछ चलता रहता है, और वह भी सिर्फ एक दिशा में नहीं, हर दिशा में... आज समुद्र शांत था, सर्दियों में अरब सागर आदर्श परिस्थितियां देता है, और झील जैसा माहौल होता है... इसे मॉनसून के दौरान बेहद चंचल रहने वाले अरब सागर के लिए तैयार किया जाना है... छोटे विमान को सुनिश्चित करना होता है कि किसी भी हिस्से पर अनावश्यक दबाव न पड़े..."
पूर्व टेस्ट पायलट ने कहा, "यह सुई में धागा डालने जैसा है, आपको न सिर्फ सटीक स्थान पर लैंड करना होता है, बल्कि सटीक रवैये के साथ भी, ताकि सुनिश्चित हो सके कि विमान को कोई भी हिस्सा अनावश्यक दबाव न झेले, और यह सब सटीक गति से करना होता है... यह बेहद तेज़ गति में बेहद ऊंचे पहाड़ के किनारों से बचने जैसा है... जहाज़ का पिछला हिस्सा ऊंचे पहाड़ जैसा ही दिखता है..."
एक विमानवाहक पोत पर पायलट किस तरह लैंड करते हैं, यह समझाते हुए कमॉडोर जयदीप मावलंकर ने कहा, "हम जेट विमान की गति को कैरियर के अनुसार रखने की कोशिश करते हैं, जो लगभग 130 नॉट्स या 240 किलोमीटर प्रति घंटा होती है..."
उन्होंने बताया, "ठीक 90 मीटर की दूरी में हम गति को 240 किलोमीटर प्रति घंटा से शून्य पर लाने की कोशिश करते हैं, और ऐसा लगभग 2.5 सेकंड में किया जाता है... बहुत मुश्किल काम है... एक बार अरेस्टिंग वायर ने विमान के टेलहुक को पकड़ लिया, तो आप कहीं जा भी नहीं सकते..."
फ्लाइट डेक पर उतरते हुए गति को सिर्फ 2.5 सेकंड में 240 किलोमीटर प्रति घंटा से शून्य पर ले आने में पायलटों को शारीरिक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है. पूर्व टेस्ट पायलट ने कहा कि ऐसे मौके भी आए हैं, जब पायलट अपने हारनेस लॉक करना भूल गए, और उनके पैरों पर थोड़ा-सा खून आ गया. विमान आपको परे फेंकता है, और 2-3 सेकंड तक आपका आपके पैरों पर कोई नियंत्रण नहीं रहता.
कमॉडोर जयदीप मावलंकर उस टीम का हिस्सा थे, जिसने तेजस विमान को भारत के दूसरे विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर लैंड करवाया था.
45,000-टन के आईएनएस विक्रमादित्य को 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था, और पिछले साल सितंबर में उसे सेना में शामिल किया गया था. नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने पहले ही कहा था कि आईएनएस विक्रांत के साथ विमान का इन्टीग्रेशन मई या जून, 2023 तक हो जाने की संभावना है.
जनवरी, 2020 में हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस के नौसैनिक वर्शन के प्रोटोटाइप ने आईएनएश विक्रमादित्य के डेक पर सफलतापूर्वक लैंड किया था, जिसके पायलट कमॉडोर जयदीप मावलंकर ही थे.
वर्ष 2020 में हासिल हुई इस उपलब्धि ने भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल कर दिया था, जो इस तरह के विमान बना सकते हैं, जिन्हें विमानवाहक पोत से ऑपरेट किया जा सके.
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