
- SC ने आरक्षित उम्मीदवारों को आयु छूट लेकर सामान्य वर्ग की सीट पर चयन से रोकने वाले नियमों को मान्य किया.
- SSC की कॉन्स्टेबल भर्ती मामले में OBC उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट दी गई थी.
- हाईकोर्ट ने सामान्य वर्ग की सीटों पर मेरिट के आधार पर चयन की अनुमति दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया.
आरक्षण श्रेणी में आयु-छूट लेकर आवेदन करने आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को बाद में अनारक्षित (सामान्य) श्रेणी की रिक्तियों में चयन के लिए नहीं योग्य नहीं माना जा सकता. यदि भर्ती नियम ऐसे माइग्रेशन को स्पष्ट रूप से रोकते हैं. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने 9 सितंबर को ये फैसला सुनाया है. मामला स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) की कॉन्स्टेबल (GD) भर्ती से जुड़ा है. इसमें आयु सीमा 18–23 वर्ष तय थी और OBC उम्मीदवारों को 3 साल की छूट दी गई थी.
अभ्थर्थियों ने OBC उम्मीदवार के रूप में आवेदन किया और इस छूट का लाभ लिया. हालांकि, उन्होंने सामान्य वर्ग के अंतिम चयनित उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त किए. लेकिन OBC वर्ग के अंतिम चयनित उम्मीदवार से कम अंक होने के कारण चयनित नहीं हो सके. इसके बाद वो हाईकोर्ट पहुंचे और कहा कि उन्हें मेरिट के आधार पर सामान्य वर्ग की सीटों पर विचार किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने उनकी दलील मान ली. इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची.
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रद्द करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने जितेन्द्र कुमार सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2010) पर गलत तरीके से भरोसा किया. उस मामले में उत्तर प्रदेश के विशेष कानूनी प्रावधान लागू थे, जो ऐसे माइग्रेशन
की अनुमति देते थे. जबकि वर्तमान मामले में कार्यालय ज्ञापन स्पष्ट रूप से कहता है कि छूट लेने वाले उम्मीदवारों को सामान्य वर्ग की सीटों पर नहीं माना जाएगा.
फैसला देते हुए जस्टिस बागची ने कहा कि कि आरक्षित उम्मीदवार, जिन्होंने फीस/ऊपरी आयु सीमा में छूट लेकर सामान्य उम्मीदवारों के साथ खुले प्रतिस्पर्धा में भाग लिया है, उन्हें सामान्य वर्ग की सीटों पर नियुक्त किया जा सकता है या नहीं, यह हर मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करता है. यदि भर्ती नियमों/नोटिफिकेशन में इस पर कोई रोक नहीं है, तो ऐसे उम्मीदवार, जिन्होंने सामान्य वर्ग के अंतिम चयनित उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त किए हैं, उन्हें सामान्य वर्ग की सीट पर चयन का अधिकार होगा. लेकिन यदि भर्ती नियमों में रोक है, तो ऐसे उम्मीदवारों को सामान्य वर्ग की सीट पर चयन का लाभ नहीं दिया जा सकता.
कोर्ट ने 2020 के सौरव यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले का भी हवाला दिया और स्पष्ट किया कि उम्मीदवार केवल तभी सामान्य वर्ग की सीटों पर माइग्रेशन हो सकते हैं जब उन्होंने कोई विशेष रियायत न ली हो और भर्ती नियमों में इस पर कोई रोक न हो. चूंकि वर्तमान मामले में माइग्रेशन पर स्पष्ट रोक थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया और प्रतिवादियों को सामान्य सीटों पर माइग्रेशन की अनुमति नहीं दी.
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