उत्तर प्रदेश के निजी स्कूलों द्वारा मासिक फीस वसूली ना करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई से इनकार कर दिया है. हालांकि शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को इजाजत दी है कि वो इस मामले में फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं. शुक्रवार को जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने मामले की सुनवाई की.
बता दें कि यूपी के निजी स्कूलों से फीस वसूली ना करने को लेकर योगी सरकार को शासनादेश जारी करने के लिए याचिका दायर की गई थी. हालांकि इस याचिका को इलाहाबार्द हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. याचिकाकर्ता ने इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि कोरोना काल में सभी स्कूल बंद हैं, स्कूलों में छुट्टियां चल रही हैं. ऐसे में सरकार की ओर से आदेश जारी कर बच्चों की स्कूल फीस माफ कर देनी चाहिए.
इस याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि स्कूलों के बंद होने के बावजूद अधिकतर स्कूल ऑनलाइन क्लास चला रहे हैं. बच्चों को वीडियो और अन्य माध्यमों से शिक्षा दी जा रही है, ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि स्कूलों में छुट्टियां हैं.
बता दें कि इसके पहले जून में आठ राज्यों के पेरेंट्स एसोसिएशन ने निजी स्कूलों द्वारा फीस वसूलने के मामले में अर्जी लगाई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से इस मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए नियमन और व्यवस्था बनाए जाने की गुहार लगाई गई थी. याचिका में कहा गया था कि ऑनलाइन क्लास के नाम पर स्कूल पूरी फीस वसूल रहे हैं, जो बिल्कुल गलत है. इसमें यह भी कहा गया था कि कई स्कूल तो ऑनलाइन क्लास के लिए अतिरिक्त शुल्क भी वसूल रहे हैं.
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