
- SC ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक कराए जाने का आदेश दिया है और आगे विस्तार नहीं होगा
- अदालत ने राज्य चुनाव आयोग को चार महीने में चुनाव कराने में हुई देरी पर फटकार लगाई और निष्क्रियता बताया है
- लम्बित परिसीमन प्रक्रिया 31 अक्टूबर 2025 तक पूरी होनी चाहिए, इसके बाद किसी तरह का विस्तार स्वीकार्य नहीं होगा
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 31 जनवरी 2026 तक चुनाव कराए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इसके बाद और समय नहीं दिया जाएगा. SC ने राज्य चुनाव आयोग को इसके लिए फटकार लगाई और कहा कि अदालत द्वारा निर्धारित पूर्व समय-सीमा के अनुसार चार महीने में चुनाव क्यों नहीं कराए जाते हैं तो इससे आपकी निष्क्रियता अक्षमता नजर आती है.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने आदेश दिया कि लंबित परिसीमन 31 अक्टूबर 2025 तक पूरा किया जाना चाहिए. इसके बाद कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा. परिसीमन प्रक्रिया चुनाव स्थगित करने का आधार नहीं होगी. राज्य चुनाव आयोग पर्याप्त EVM का इतंजाम करे और 30 नवंबर 2025 तक हलफनामा दाखिल करे. महाराष्ट्र के मुख्य सचिव राज्य चुनाव आयोग को चुनाव ड्यूटी के लिए कर्मचारी और रिटर्निंग अफसर मुहैया कराए. 6 मई को अदालत ने स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए एक अंतरिम आदेश पारित किया था. ये चुनाव OBC आरक्षण के कार्यान्वयन से संबंधित मुकदमे के कारण 2022 से रुके हुए थे.
सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने पूछा क्या चुनाव हो चुके हैं? आदेश मई में पारित किया गया था, चुनाव 4 महीने (सितंबर के अंत तक) में होने थे. इस पर महाराष्ट्र के वकील ने कहा, प्रक्रिया चल रही है. परिसीमन हो गया है. राज्य चुनाव आयोग कुछ समय विस्तार की मांग कर रहा है. इसके लिए एक अंतरिम आवेदन दायर किया गया है.
जस्टिस कांत ने इसपर सवाल उठाया कि हम आपको जनवरी तक का समय क्यों दें? इस पर वकील ने कहा कि 29 नगर निगम हैं और यह पहली बार है कि सभी के चुनाव एकसाथ हो रहे हैं. इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि यह आपकी अक्षमता को दिखाता है. आप हमें मौखिक रूप से कारण बताएं.
वकील ने कहा, हमारे पास 65,000 EVM मशीनें हैं, 50,000 और चाहिए जिसके हमने ऑर्डर दे दिए हैं. इसपर जस्टिस कांत ने पूछा कि यह आपको तब नहीं पता था जब हमने पहला आदेश पारित किया था.
याचिकाकर्ता ने कहा कि दो हफ्तों के अंदर उन्हें सूचित करना था लेकिन अब वो सबकुछ नए सिरे से कर रहे हैं. कई मामलों में परिसीमन भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. मतदान केंद्रों पर रिटर्निंग अधिकारियों की आवश्यकता है. पंजाब में इस अदालत ने निर्देश दिया और चुनाव तुरंत कराए गए.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि यह विवाद महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव कराने से संबंधित है. चुनाव इस कारण नहीं कराए जा सके कि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को लेकर विवाद हो गया था. बंठिया आयोग की रिपोर्ट के आधार पर विस्तारित आरक्षण की वैधता चुनौती का विषय है. इसी पृष्ठभूमि में, 6 मई को, इस अदालत ने निम्नलिखित निर्देशों के साथ एक तर्कसंगत आदेश पारित किया था.
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