शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने बादल के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पंजाब सरकार की अपील को खारिज कर दिया. कोर्ट ने पूछा कि यह ऐसा मामला नहीं है, जहां राज्य सरकार को अपील करनी चाहिए थी.
पंजाब हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप को इच्छुक नहीं : SC
जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच ने पंजाब हाई कोर्ट के अगस्त 2023 के फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार की अपील पर सवाल उठाते हुए कहा कि IPC की धारा 270 (घातक कृत्य जो जीवन के लिए खतरनाक बीमारियों के फैलने का कारण बन सकते हैं) को दिखाने के लिए सबूत कहां हैं? या (धारा) 341 (गलत तरीके से रोकने) के तहत FIR को देखिए इससे स्पष्ट है कि ऐसा कोई अपराध नहीं बनता है. इस मामले में सुखबीर बादल के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने का कोई मामला ही नहीं बनता. ऐसे में हम पंजाब हाई कोर्ट के FIR रद्द करने के फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं.
इस मामले में राज्य हमारे सामने अपील में क्यों आया : SC
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से सवाल उठाते हुए कहा कि जब मामला एक निजी खनन कंपनी की शिकायत के आधार पर शुरू किया गया था तो ऐसे में राज्य हमारे सामने अपील में क्यों आया है? दरअसल, एक खनन कंपनी द्वारा जून 2021 की FIR में आरोप लगाया गया था कि बादल और SAD के अन्य सदस्यों ने कम्पनी के कर्मचारियों को धमकाया और अमृतसर जिले के वजीर भुल्लर गांव में खनन वाली साइटों में बाधा डाली और हस्तक्षेप किया. इसमें कहा गया है कि बादल और उनके समर्थकों ने मास्क नहीं पहना था, जबकि COVID-19 महामारी चल रही थी. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सुखबीर सिंह बादल पर दर्ज FIR को अगस्त 2023 में यह कहते हुए रद्द कर दिया कि FIR में दिए गए किसी भी अपराध की पुष्टि करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं हैं.
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