"जमीन पर कुछ नहीं हो रहा, हर बार कोर्ट के आदेश का इंतजार क्यों" : प्रदूषण पर दिल्ली सरकार से सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुनवाई करते हुए तीखी टिप्‍पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रदूषण के चलते लोगों को मरने नहीं दे सकते. (फाइल)

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण को लेकर कहा कि पराली जलाने पर रोक लगानी होगी
  • हर कोई प्रदूषण का स्रोत जानता है, लेकिन कुछ क्यों नहीं किया जा रहा है?
  • प्रदूषण के चलते लोगों को मरने नहीं दे सकते : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रदूषण (Pollution) को लेकर एक बार फिर बड़ी टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मुद्दे पर कहा कि जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है, हर बार कोर्ट के आदेश का इंतजार क्‍यों रहता है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगानी होगी, ये राज्य सरकार को करना होगा. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस के कौल ने कहा कि हर कोई प्रदूषण का स्रोत जानता है,  लेकिन कुछ क्यों नहीं किया जा रहा है? उन्‍होंने कहा कि हम विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन जानना चाहते हैं कि चीजें आगे क्यों नहीं बढ़ रही हैं. क्या हर बार इसमें तभी तेजी आएगी जब हम हस्तक्षेप करेंगे? हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने  दिल्‍ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुनवाई करते हुए यह टिप्‍पणी की है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी. 

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्‍ली सरकार से कहा कि इतनी सारी रिपोर्ट, इतनी सारी मीटिंग, आयोग लेकिन जमीन पर कुछ नहीं हो रहा है, हर बार क्यों अदालती आदेशों का इंतजार होता है. 

जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है. किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है, फिर भी पराली जलाने पर रोक जरूरी है.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ऑड-ईवन पर भी सवाल उठाए. जस्टिस कौल ने कहा कि एमिक्‍स ने बताया है कि इस स्कीम से फायदा नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपको जो करना है आप करें, कल को आप कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने करने नहीं दिया. हम बस ये कहना चाहते हैं कि ये असर हो रहा है स्कीम का. आप फैसला लीजिए, इसमें हम कुछ नहीं कह रहे है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है. हर किसी के पास दो कार तो नहीं होगी, लेकिन अगर स्कूटर या दोपहिया है तो उस पर लागू नहीं होगा.  

दिल्ली सरकार ने ऑड ईवन  योजना का बचाव करते हुए कहा कि वाहनों से प्रदूषण कम हुआ है. यह एक "आपातकालीन उपाय" भी है. पार्टिकुलेट मैटर में 13.4% की कमी आई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल न्यूनतम प्रभाव हो सकता है. 

जस्टिस संजय किशन कौल ने अटॉर्नी जनरल आर वेकेंटरमनी से कहा कि फसल जलाने का विकल्प हो, निस्तारण के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाए. क्या केंद्र 50% सब्सिडी वहन करने को तैयार है? पंजाब कहता है कि वह 25% वहन करेगा, दिल्ली 25% तो मशीनें मुफ़्त होंगी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगानी ही होगी, केवल आप FIR दर्ज कर रहे हैं. आप एफआइआर रजिस्टर्ड करेंगे बाद में वापस ले लेंगे, लेकिन नुकसान तो हो ही गया होगा. जस्टिस कौल ने कहा कि हम केवल प्रदूषण की पहचान ही कर रहे हैं.  आप यह करना चाहते हैं, आप कर सकते हैं. जनता को केवल प्रार्थना करनी है.  कभी-कभी हवा आती है और मदद करती है, कभी-कभी बारिश होती है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो तरह के इश्‍यू हैं, एक लंबा इश्‍यू है, जिसमें फसल के विकल्प को देखा जाए तो दूसरा तुरंत पराली जलाने पर रोक लगे. आप केवल रिकॉर्ड भर रहे हैं और कुछ नहीं. हमारी चिंता है कि आप लॉन्ग टर्म उपाय के लिए क्या कर रहे हैं. फसल के विकल्प के तौर पर दूसरी फसल. इसका मतलब नहीं कि आप पांच साल ले लें. पराली जलाने पर रोक कैसे लगे, कैसे मॉनिटर करें ये जरूरी है. एफआइआर रजिस्टर करना समस्या का समाधान नहीं है. 

'आप तय कीजिए पराली जलाना कैसे रुकेगा' 

सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारों से कहा कि गाजर और छड़ी आपके हाथों में है, आप तय कीजिए कि पराली जलाना कैसे रुकेगा. अगर आप चाहे तो ये कर सकते है कि अगर कोई पराली जलता है तो उसे सब्सिडी नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य सरकार जिम्मेदार हैं. सरकारें पराली जलाने पर सामूहिक जुर्माना या जब्ती भी कर सकते हैं. हम चाहते है समस्या का समाधान निकले. वहीं याचिकाकर्ता विकास सिंह ने कहा कि यह वोट बैंक इश्‍यू है और ये कभी नहीं करेंगे. 

'हम समस्‍या का समाधान चाहते हैं, प्रशासन आपका काम' 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम बस समस्या का समाधान चाहते हैं, प्रशासन आपका काम है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह आसान मामला है. यह राज्य सरकारों को ये करना होगा,  कैसे करेंगे, वो तय करें. 

'प्रदूषण के चलते लोगों को मरने नहीं दे सकते' 

साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि क्या आप चाहते है कि ये आदेश हम पास कर दे कि सभी राज्य सरकार के अधिकारी बिना मास्क के काम करें. तभी आम जनता के स्वास्थ्य के बारे में इसको पता चलेगा. हम प्रदूषण के चलते लोगों को मरने नहीं दे सकते. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि आप कोर्ट के आदेश को लागू करें. हम लोगों को प्रदूषण की वजह से मरने नहीं दे सकते. सवाल ये उठता है कि  किसान केवल बासमती की फसल क्यों उगाते है? पंजाब सरकार आखिर किसानों के सगठन से बात क्यों नहीं करती. उनका संगठन बेहद एक्टिव है, राज्य सरकार को बात करनी चाहिए. 

प्रदूषण कम करने के व्‍यावहारिक समाधान लाएं : सुप्रीम कोर्ट 

अदालत ने कहा कि प्रदूषण कम होना ही चाहिए. कैसे कम होगा ये राज्य सरकार तय करें, लेकिन प्रदूषण कम करना ही होगा. अदालत ने कहा कि सभी राज्य प्रदूषण कम करने के लिए व्यावहारिक समाधान लेकर आएं. हम लोगों को मरने देने की इजाजत नहीं दे सकते. मुख्य सचिव सभी कदम उठाएं, अन्यथा उन्हें यहां बुलाया जाएगा. अगर हम कमेटी बनाते है तो जिम्मेदारी कमेटी पर शिफ्ट हो जायेगी. 
 

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