
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
1984 में हुई सिख विरोधी हिंसा की जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को SIT जांच की निगरानी के लिए सुपरवाइजरी कमेटी के गठन को देखने के लिए कहा है. यह कमेटी SIT की जांच और ट्रायल के केसों की निगरानी करेगी. इस मामले में अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी. 1984 में हुई सिख विरोधी हिंसा को लेकर चल रही SIT जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा था कि इन मामलों की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाने का जरूरत है जो मामलों की जांच और डे टू डे ट्रायल की निगरानी कर सके.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर कहा है. याचिका में मामलों के लिए गठित SIT की निगरानी करने और जांच व ट्रायल में तेजी लाने के आदेश देने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. केंद्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा से जुड़े 650 केस दर्ज किए गए थे, जिनमें से 293 केसों की SIT ने छानबीन की थी. रिकार्ड खंगालने के बाद इनमें से 239 केस SIT ने बंद कर दिए हैं. इनमें 199 केस सीधे सीधे बंद कर दिए गए. कुल 59 मामलों की दोबारा जांच शुरू की गई, जिसमें चार मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई जबकि इनमें से दो मामलों को बंद किया जाएगा क्योंकि आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि 38 मामलों को बंद कर दिया गया. जिन 35 केसों की प्राथमिक जांच शुरू की गई उनमें 28 केसों की जांच पूरी की गई, लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि कितने केस बंद किए गए और कितने में चार्जशीट दाखिल की गई.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर कहा है. याचिका में मामलों के लिए गठित SIT की निगरानी करने और जांच व ट्रायल में तेजी लाने के आदेश देने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. केंद्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि हिंसा से जुड़े 650 केस दर्ज किए गए थे, जिनमें से 293 केसों की SIT ने छानबीन की थी. रिकार्ड खंगालने के बाद इनमें से 239 केस SIT ने बंद कर दिए हैं. इनमें 199 केस सीधे सीधे बंद कर दिए गए. कुल 59 मामलों की दोबारा जांच शुरू की गई, जिसमें चार मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई जबकि इनमें से दो मामलों को बंद किया जाएगा क्योंकि आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि 38 मामलों को बंद कर दिया गया. जिन 35 केसों की प्राथमिक जांच शुरू की गई उनमें 28 केसों की जांच पूरी की गई, लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि कितने केस बंद किए गए और कितने में चार्जशीट दाखिल की गई.
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