सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं (किशोरियों की निजता के अधिकार के संबंधन में) पर नियंत्रण रखने को कहा गया था. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि अदालतों को किस तरह फैसला लिखना चाहिए, इस पर भी विस्तार से बताया गया है.
कलकत्ता HC के फैसले को SC ने पलटा
यह फैसला कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले के बाद लिया गया है, जिसमें किशोरियों से कहा गया था कि वे "दो मिनट के आनंद के आगे झुकने" के बजाय अपनी यौन इच्छाओं को "नियंत्रित" करें. इसने विवाद को जन्म दे दिया था क्योंकि इसमें किशोरों के लिए 'कर्तव्य/दायित्व आधारित दृष्टिकोण' का प्रस्ताव दिया गया था, और सुझाव दिया गया था कि किशोरियों और लड़कों के कर्तव्य अलग-अलग हैं.
SC ने HC की टिप्पणी को बताया आपत्तिजनक
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा था कि उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियां व्यापक, आपत्तिजनक, अप्रासंगिक, उपदेशात्मक और अनुचित थीं. शीर्ष अदालत ने यह भी टिप्पणी की थी कि उच्च न्यायालय के फैसले से गलत संकेत गए हैं.
युवक को HC ने कर दिया था बरी
उच्च न्यायालय के सामने रखे गए मामले में न्यायमूर्ति चित्त रंजन दाश और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी सेन की खंडपीठ ने एक युवक को बरी कर दिया था, जिसे एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने का दोषी ठहराया गया था. इस युवक के साथ नाबालिग का 'प्रेम संबंध' था.
SC ने युवक की दोषसिद्धि को किया बहाल
आज सर्वोच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि को बहाल कर दिया और कहा कि विशेषज्ञों की एक समिति उसकी सजा पर फैसला करेगी. वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान और लिज़ मैथ्यू इस मामले में न्यायमित्र थे. वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी और अधिवक्ता आस्था शर्मा पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश हुए. उन्होंने भी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं