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हिसार में जन्मे जस्टिस सूर्य कांत हो सकते हैं देश के अगले प्रधान न्यायाधीश, 370 से बिहार SIR तक बड़े फैसले दिए

देश के अगले चीफ जस्टिस के नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज जस्टिस सूर्य कांत अगले सीजेआई हो सकते हैं.

हिसार में जन्मे जस्टिस सूर्य कांत हो सकते हैं देश के अगले प्रधान न्यायाधीश, 370 से बिहार SIR तक बड़े फैसले दिए
Justice Surya Kant
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है. उच्चतम न्यायालय के मौजूदा प्रधान न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. कानून मंत्रालय ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई को पत्र लिखकर उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा है.संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज जस्टिस सूर्य कांत देश के नए प्रधान न्यायाधीश होंगे. जस्टिस सूर्यकांत सीजेआई बीआर गवई के बाद उच्चतम न्यायालय के सबसे सीनियर जज हैं. और भारतीय न्यायपालिका के अगले प्रमुख बनने की कतार में पहली पायदान पर हैं.

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी 1962 को एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उन्हें 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था.जस्टिस सूर्यकांत के नाम की सिफारिश पर मुहर के बाद वह 24 नवंबर को चीफ जस्टिस की जिम्मेदारी संभालेंगे. वो 9 फरवरी 2027 तक यानी करीब 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे.

सुप्रीम कोर्ट आने से पहले जस्टिस सूर्यकांत के पास बतौर जज 20 साल से अधिक का लंबा अनुभव रहा है.अनुच्छेद-370, पेगासस स्पाईवेयर, ओआरओपी जैसे तमाम मसलों से जुड़ी खंडपीड का हिस्सा रहे हैं.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत उस बेंच में शामिल थे, जिसने ब्रिटिश काल के राजद्रोह कानून को स्थगित किया और फैसला दिया कि सरकार की समीक्षा तक इसमें कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं होगी.उन्होंने चुनाव आयोग से बिहार चुनाव से पहले एसआईआर का पूरा ब्योरा जनता के बीच साझा करने का आदेश भी दिया था.

जस्टिस सूर्यकांत ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) को वैध बताते हुए बरकरार रखा था. सैन्य बलों में स्थायी कमीशन में महिला अधिकारियों के लिए समानता के अनुरोध वाली याचिका पर भी वो सुनवाई कर रहे हैं. जस्टिस सूर्यकांत उन 7 जजों की बेंच में शामिल थे, जिसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) से जुड़े उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिससे एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे पर दोबारा विचार का रास्ता खुला था. जस्टिस सूर्यकांत पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई करने वाली बेंच का भी हिस्सा थे.

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति, स्थानांतरण और पदोन्नति के नियमों से जुड़े दस्तावेजों में कहा गया है कि देश के प्रधान न्यायाधीश के पद पर सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज की नियुक्ति होनी चाहिए, जिन्हें इस पद धारण के लिए योग्य समझा गया हो.

केंद्रीय विधि मंत्री देश के चीफ जस्टिस से उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए उचित समय पर सिफारिश मांगते हैं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं. उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश पत्र सामान्यतया एक महीने पहले ही भेज दी जाती है.
 

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