लुप्तप्राय पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian bustard) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पावर पैनल बिछाने के लिए विशेषज्ञ पैनल को नियुक्त किया है. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को ट्रांसमिशन लाइनों से टकराने से बचाने के लिए अदालत ने डायवर्टर की स्थापना का निर्देश दिया है. पीठ ने कहा है कि उन मामलों में जहां बिजली की लाइन को अंडरग्राउंड करना संभव है, यह एक वर्ष के भीतर किया जाना चाहिए.
बिजली की लाइनों से टकराने के कारण गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. ये बिजली लाइनें गुजरात और राजस्थान राज्यों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्राकृतिक आवास से गुजरती हैं. मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अगुवाई वाली बेंच इस बात की जांच कर रही है कि पक्षियों को बचाने के लिए ओवरहेड पावर लाइनों को भूमिगत केबल लाइनों से बदला जा सकता है या नहीं. अदालत ने एक वैकल्पिक तंत्र भी खोजा है जिसमें पक्षियों को बिजली लाइनों से दूर रखने के लिए फ्लाइट बर्ड डायवर्टर स्थापित किए जा सकते हैं, लेकिन यह एक लागत प्रभावी तरीका नहीं है.
इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल बिजली मंत्रालय के लिए पेश हुए और उन्होंने कहा कि केवल लो वोल्टेज लाइनों को बदला जा सकता है लेकिन हाई वोल्टेज केबल्स को नहीं.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का वैज्ञानिक नाम अर्डोटिस नाइग्रिसेप्स (Ardeotis Nigriceps) है. यह पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है. यह एक विशाल पक्षी है, यह दिखने में शुतुरमुर्ग जैसा है. यह सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है. यह पक्षी कभी भारतीय उपमहाद्वीप के सूखे मैदानों में आम था. लेकिन सन 2011 में इसकी सख्या घटकर 250 रह गई, जो 2018 में और घटकर 150 हो गई. इस पक्षी को “गंभीर रूप से लुप्तप्राय” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है और भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है.
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