मणिपुर में दो महिलाओं के निर्वस्त्र वीडियो पर सीजेआई ने चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि हम वीडियो देखकर बहुत डिस्टर्ब है. दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया. केंद्र से जवाब मांगा है. केंद्र और मणिपुर से पूछा है कि इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं. CJI ने कहा कि लोकतंत्र में ये स्वीकार्य नहीं है. इस मामले में अगले शुक्रवार सुनवाई होगी. सीजेआई ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में इस तरह की घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती. महिलाओं के अधिकारों को लेकर इस प्रकार की घटना अंतर- आत्मा को हिला देने वाली है. ये संविधान के अधिकारों का हनन है.
सीजेआई ने कहा कि मणिपुर में एक महिला पर यौन उत्पीड़न और हिंसा के संबंध में कल सामने आए वीडियो से अदालत बहुत परेशान है. मीडिया में दिखाई देने वाले दृश्य घोर हिंसा और मानवाधिकारों के उल्लंघन का संकेत देते हैं. ऐसे माहौल में हिंसा के साधन के रूप में महिलाओं का उपयोग अस्वीकार्य है. हमारा विचार है कि अपराधियों को पकड़ने के लिए उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराया जाना चाहिए. राज्य और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराएं. साथ ही भविष्य में ऐसा ना हो ये सुनिश्चित करें.
एसजी मेहता ने सीजेआई की चिंता साझा की और कहा, "सरकार भी इस घटना से बहुत चिंतित है. ऐसी घटनाएं पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने वीडियो सामने आने के तुरंत बाद अपराधियों को पकड़ने के लिए गंभीर कदम उठाए हैं और अदालत को सूचित किया जाएगा." मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मानसून सत्र शुरू होने से पहले मणिपुर के वीडियो को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मणिपुर में जो हुआ है वो बेहद शर्मनाक है. ये पूरे देश को शर्मसार करने जैसा है. पीएम मोदी ने कहा कि मैं सभी मुख्यमंत्रियों से कहना चाहता हूं कि वो अपने राज्य की मां और बेटियों की सुरक्षा के लिए सदैव सजग रहे हैं और कानून व्यवस्था को और मजबूत करें. इस घटना को लेकर मैं आपको आश्वासन देता हूं कि मणिपुर की घटना में जो भी दोषी हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी. मणिपुर में महिलाओं के साथ जो हुआ वो किसी भी सभ्य समाज के लिए सही नहीं है.
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