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आखिर आवारा कुत्‍तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए राज्‍यों के मुख्‍य सचिव, जाने अदालत ने क्‍या कहा

बता दें कि अदालत ने तीन महीने पहले ये आदेश जारी किया था, जिसका राज्यों द्वारा पालन नहीं किया गया और इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की है. 

आखिर आवारा कुत्‍तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए राज्‍यों के मुख्‍य सचिव, जाने अदालत ने क्‍या कहा
  • SC ने आवारा कुत्तों की समस्या पर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए
  • अदालत ने 3 महीने पहले आवारा कुत्तों से निपटने के लिए आदेश जारी किया था, जिसका राज्यों द्वारा पालन नहीं हुआ है
  • राज्यों को आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के उपायों की जानकारी देने और राष्ट्रीय नीति के सुझाव देने होंगे
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नई दिल्ली:

देशभर में आवारा कुत्तों से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. बता दें कि पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी इस मामले को लेकर कोर्ट में पेश हुए हैं. 

SC ने कहा कि आज चीफ सेक्रेटरी को बुलाया है आज ये देखेंगे कि कोर्ट के आदेश का कितना पालन हुआ है. आगे कि सुनवाई मे हम निर्देश जारी करेंगे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7 नवंबर को आवारा कुत्तों के मुद्दे पर नया आदेश पारित किया जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों की प्रत्यक्ष उपस्थिति अब जरूरी नहीं है.

7 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने अनुपालन हलफनामे में राज्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए सुझावों का सारांश चार्ट मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एबीसी नियमों के कार्यान्वयन पर और निर्देश जारी किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों के काटने के कुछ पीड़ितों को अभियोग आवेदन दायर करने की भी अनुमति दी है. 

तीन महीने पहले अदालत ने जारी किया था आदेश

बता दें कि अदालत ने तीन महीने पहले ये आदेश जारी किया था, जिसका राज्यों द्वारा पालन नहीं किया गया और इस पर अदालत ने नाराजगी जाहिर की है. राज्यों को आवारा कुत्तों के हमलों को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होगी और इस समस्या को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए सुझाव भी देने होंगे.

22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को इस मामले को लेकर दिया था निर्देश

बता दें कि 22 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले का दायरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सीमाओं से आगे बढ़ाते हुए सबी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसमें पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने नगर निगम अधिकारियों को पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियमों के अनुपालन के उद्देश्य से कुत्तों के लिए उपलब्ध बाड़ा, पशु चिकित्सकों, कुत्तों को पकड़ने वाले कर्मियों और विशेष रूप से संशोधित वाहनों एवं पिंजरों जैसे संसाधनों के पूर्ण आंकड़ों के साथ अनुपालन पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था.  पीठ ने इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाया था और कहा था कि एबीसी नियमों का प्रयोग पूरे भारत में एक समान है.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा है जो 28 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में आवारा कुत्तों के काटने से विशेष रूप से बच्चों में रेबीज होने की एक मीडिया रिपोर्ट आने के बाद शुरू किया गया था.

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