प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उज्जैन यात्रा से पहले, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता की और इस दौरान 'महाकाल' की फोटो को कुर्सी में रखा. इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, "यह महाकाल महाराज की सरकार है, जो यहां के राजा हैं... उनके सभी सेवक महाकाल महाराज की धरती पर एक बैठक के लिए आए हैं." यह ऐतिहासिक पल है हम सभी के लिए. हमने कल्पना की थी कि महाकाल महाराज के परिसर का विस्तार किया जाएगा.
सीएम ने कहा कि हमने कई मकान विस्थापित किए, उनको कष्ट न देते हुए 150 करोड़ रुपये की लागत से उन्हें विस्थापित किया. कई विकास के काम हमने किए हैं. रुद्रसागर को हमने पुनर्जीवित किया है, इसमें क्षिप्रा नदी का पानी रहेगा. मंदिर में लाइटिंग और साउंड सहित महाकाल पथ का निर्माण किया है. दूसरे चरण में भी कई काम पूर्ण होने हैं.
यह पहली बार था जब उज्जैन में राज्य कैबिनेट की बैठक हुई थी, जहां भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध मंदिर है.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को उज्जैन में 750 करोड़ रुपये लागत की महाकालेश्वर मंदिर गलियारा परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे. 900 मीटर के गलियारे में शिव, शक्ति और अन्य धार्मिक संस्थाओं से संबंधित लगभग 200 मूर्तियाँ और भित्ति चित्र होंगे.
परियोजना के पहले चरण में 351 करोड़ रुपये का काम पूरा हो चुका है. दूसरे चरण में अन्य 310.22 करोड़ खर्च किए जाएंगे. राज्य मंत्रिमंडल ने परिसर का नाम 'महाकाल लोक' रखने का भी फैसला किया गया. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि 11 अक्टूबर को उज्जैन में स्थानीय अवकाश रहेगा.
चौहान ने बैठक में कहा कि भाजपा सरकार ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले परियोजना के लिए निविदा आमंत्रित की थी, लेकिन उस साल दिसंबर में सरकार बदलने के कारण यह नहीं हो सका. वहीं मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस आरोप का खंडन किया.
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