- ला नीना कंडीशन विकसित होने की संभावना है, जिससे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है
- ला नीना समुद्री और वायुमंडलीय घटना है, जो प्रशांत महासागर के सतह तापमान में गिरावट से जुड़ी है
- पश्चिमी विक्षोभ की बढ़ी हुई गतिविधि से पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी बढ़ने की आशंका
दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में इस बार मॉनसून ने जमकर तबाही मचाई है, कुछ जगहों पर तो रिकॉर्डतोड़ बारिश हुई है. हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र तक बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया. अब मौसम को लेकर एक नया सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ेगी? इस सवाल का जवाब देने के लिए NDTV से खास बातचीत में इंडियन मेट्रोलॉजिकल सोसाइटी के प्रेसिडेंट और क्लाइमेट एक्सपर्ट आनंद शर्मा ने कई अहम बातें साझा कीं.
ला नीना क्या है और इसका मौसम पर क्या असर
आनंद शर्मा ने बताया कि ला नीना (La Niña) एक समुद्री और वायुमंडलीय घटना है, जो प्रशांत महासागर के सतह तापमान में गिरावट से जुड़ी होती है. जब सेंट्रल और ईस्टर्न पेसिफिक ओशन का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, तो इसे ला नीना कंडीशन कहा जाता है. दरअसल यह ENSO (El Niño Southern Oscillation) के साथ जुड़ा होता है और इसका असर वैश्विक मौसम पर पड़ता है.
क्या इस बार पड़ेगी कड़ाके की ठंड?
शर्मा के मुताबिक, फिलहाल ENSO न्यूट्रल स्थिति में है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर में ला नीना कंडीशन विकसित हो सकती है और यदि ऐसा होता है, तो उत्तर भारत में सर्दी ज्यादा तीव्र हो सकती है.
कोल्ड वेव की आशंका: न्यूनतम तापमान सामान्य से काफी नीचे जा सकता है.
पश्चिमी विक्षोभ की बढ़ी हुई गतिविधि: इससे पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश बढ़ सकती है.
फसलों पर असर: पाला पड़ने की स्थिति बन सकती है, जिससे रबी फसलों को नुकसान हो सकता है.
सरकार और आम जनता को क्या तैयारी करनी चाहिए?
क्या तैयारी करनी चाहिए जनता को
- गर्म कपड़ों की तैयारी रखें
- मौसम विभाग के अलर्ट पर ध्यान दें
- पहाड़ी इलाकों की यात्रा से पहले मौसम की जानकारी लें
किसान कर लें ये तैयारी
- पाला से बचाव के लिए मल्चिंग करें
- हल्की सिंचाई से तापमान को स्थिर रखने की कोशिश करें
क्या पिछली बार भी ऐसा अनुमान था?
पिछले साल भी अक्टूबर-नवंबर में ला नीना के विकसित होने की संभावना जताई गई थी, लेकिन वह कंडीशन पूरी तरह सेट नहीं हो पाई. नतीजतन, जनवरी-फरवरी में अपेक्षाकृत कम ठंड पड़ी थी. इस बार भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है. आनंद शर्मा ने सलाह दी कि घबराने की नहीं, बल्कि समय रहते प्लानिंग करने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार हो या लोग सबको ठंड की तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए. फुटपाथ पर रहने वाले लोगों के लिए शेल्टर की पूरी व्यवस्था हो और स्वास्थ्य व आपदा प्रबंधन की योजनाएं समय रहते सक्रिय कर दी जाएं. सर्दी के मौसम से पहले इस तरह की चर्चा और तैयारियां होना उन्होंने “अच्छा संकेत” बताया.
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