प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने मानवाधिकार को लेकर 'पक्षपातपूर्ण' सोच रखने वालों को कठघरे में खड़ा किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने मानवाधिकार को राजनीतिक फायदे और नुकसान की दृष्टि से देखने वालों पर निशाना साधा और इस कारण वो लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं. पीएम मोदी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस के मौके पर अपने संबोधन में कहा, "कुछ लोग कुछ घटनाओं में मानवाधिकार उल्लंघन (human rights violations) को देखते हैं, लेकिन वैसी ही अन्य घटनाओं में इस मुद्दे को नजरअंदाज करते हैं. मानवाधिकारों का उल्लंघन तब होता है, जब उसे राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है. ऐसे चुनिंदा और भेदभावपूर्ण रवैया लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है."
मोदी ने यह भी कहा, "कुछ लोग मानवाधिकार के नाम पर देश की छवि को खराब करने की कोशिश करते हैं.... हमें इसको लेकर सावधान रहना होगा. दरअसल, राजनीतिक लाभ-हानि से मानवाधिकारों को देखने वालों के कारण लोकतंत्र और ऐसे अधिकारों पर चोट पहुंचती है. " मोदी ने कहा कि हमारा स्वाधीनता संग्राम और इतिहास हमें मानवाधिकारों के लिए मूल्यों के साथ प्रेरणास्रोत का काम करता है. लेकिन वैसी ही किसी दूसरी घटना पर चुप्पी साध जाते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह का सेलेक्टिव व्यवहार लोकतंत्र के लिए हानिकारक है. ऐसे लोग अपने बर्ताव से देश की छवि को खराब करने की कोशिश करते हैं.
प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में चार किसानों को कुचलकर मार देने के मामले को लेकर आक्रोश है. इस हमले के आरोपियों में से एक केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा है.
लखीमपुर खीरी कांड में किसानों को उस वक्त गाड़ी से कुचल दिया गया था,जब वो शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस ने उन्हें तीन दिन की रिमांड हासिल की है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद यूपी सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है.
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