प्रियंका गांधी लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों की अंतिम अरदास में शामिल होंगी

प्रियंका गांधी का एक हफ्ते के भीतर दूसरा लखीमपुर खीरी (lakhimpur kheri) दौरा है. लखीमपुर कांड के अगले ही दिन  प्रियंका गांधी वहां रवाना हुई थीं, लेकिन उन्हें सीतापुर के हरगांव में हिरासत में ले लिया गया था. 

लखनऊ:

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) यूपी के लखीमपुर जिले में मारे गए किसानों की अंतिम अरदास में आज शामिल होंगी. यह एक हफ्ते के भीतर उनका दूसरा लखीमपुर खीरी (lakhimpur kheri) का दौरा है. बीजेपी नेताओं के दौरे का विरोध कर रहे किसानों को गाड़ी से कुचल दिया गया था, जिसमें 4 किसानों की मौत हो गई थी और उसके बाद हिंसा में चार अन्य लोग भी मारे गए थे. लखीमपुर कांड के अगले ही दिन  प्रियंका गांधी वहां रवाना हुई थीं, लेकिन उन्हें सीतापुर के हरगांव में हिरासत में ले लिया गया था. 

संयुक्त किसान मोर्चा Samyukt Kisan Morcha) ने पिछले हफ्ते ऐलान किया था कि 12 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया गांव में यह अंतिम अरदास आयोजित की जाएगी. पुलिस ने इस कार्यक्रम को देखते हुए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं. यूपी पुलिस के कर्मियों की छुट्टी पहले ही 18 अक्टूबर तक रद्द कर दी गई हैं. मंगलवार को भी लखनऊ-सीतापुर-लखीमपुर हाईवे पर भारी बैरीकेडिंग और पुलिसकर्मी तैनात दिखे. तिकोनिया गांव में भी काफी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है. 

3 अक्टूबर को किसानों को कुचले जाने की घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को आरोपी बनाया गया है. आशीष मिश्रा को गिरफ्तार भी किया जा चुका है. तमाम किसान संगठनों के नेता इस अंतिम अरदास में शामिल होने वाले हैं. आसपास के जिलों के लोगों के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) एक दिन पहले ही तिकुनिया पहुंच गए हैं. लखीमपुर खीरी के आसपास हाईवे पर ऐसे तमाम बैनर भी दिखे हैं, जिसमें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के लखीमपुर खीरी आने का विरोध किया गया है. 

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हालांकि जब बीकेयू-टिकैत गुट के जिला उपाध्यक्ष बलकार सिंह से पूछा गया कि क्या राजनेता इस प्रार्थना सभा में  शामिल हो सकते हैं तो उन्होंने कहा कि किसी भी नेता को संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ मंच साझा नहीं करने दिया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा (के तहत करीब 40 किसान संगठन हैं, जो केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ करीब एक साल से आंदोलन कर रहे हैं.