रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर SC जल्द करेगा सुनवाई

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तत्काल सुनवाई की मांग की. स्वामी ने कहा कि रामसेतु मामला फाइनल स्टेज पर है. इस पर अदालत तत्काल सुनवाई करे.

रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर SC जल्द करेगा सुनवाई

रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही अदालत मामले में सुनवाई करेगी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तत्काल सुनवाई की मांग की. स्वामी ने कहा कि रामसेतु मामला फाइनल स्टेज पर है. इस पर अदालत तत्काल सुनवाई करे.

बता दें कि 19 जनवरी को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श जारी है. संस्कृति मंत्रालय में इस प्रस्ताव पर फैसले के लिए विचार जारी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी को कहा था कि वो अपने दस्तावेज व सामग्री सरकार को दे सकते हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयानों को रिकॉर्ड पर ले लिया था. तुषार ने कहा था कि संस्कृति मंत्रालय में इस प्रस्ताव पर फैसले के लिए विचार जारी है. सुब्रमण्यम स्वामी को कहा है कि वो अपने दस्तावेज व सामग्री सरकार को दे सकते हैं. वहीं केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस मामले में सरकार में विचार-विमर्श का दौर जारी है. हम इस मामले में फरवरी के पहले हफ्ते में जवाब दाखिल करेंगे.

याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि पिछली सुनवाई में SG मेहता ने कहा था कि 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करेंगे. इस मामले में कैबिनेट सेकेट्री को तलब किया जाना चाहिए. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने SG से कहा था कि स्वामी कह रहे हैं कि आपने अपना वादा पूरा नहीं किया. 10 नवंबर 2022 को भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि वो चार हफ्ते में याचिका पर हलफनामा दाखिल करें. इसके बाद दो हफ्ते में जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाएगा, हालांकि याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल उठाया कि कई सालों से मामला अटका पड़ा है. सरकार को बताना इतना बताना है कि वो रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक घोषित करना चाहती है या नहीं. दरअसल, स्वामी ने 2020 में भी रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद़दे पर कहा था कि इस मामले में तीन महीने बाद विचार किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक हलफनामा दाखिल करके अपना रुख भी स्पष्ट करने को कहा था. सुब्रमण्यम स्वामी ने सर्वोच्च अदालत में रामसेतु का मुद्दा उठाया था.

उन्होंने साल 2018 में रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में मेंशन की थी. इसमें उन्होंने कहा था कि कोर्ट ने इस पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था. इतने साल हो गए लेकिन सरकार ने अभी तक याचिका का जवाब दाखिल नहीं किया हालांकि मोदी सरकार रामसेतु मामले पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि राम सेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. इसे न तोड़ा जाए और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए.

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परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि राम सेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है. इसे न तोड़ा जाए और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए. इससे पहले NDA सरकार ने सितंबर 2019 में दायर एक हलफनामे में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया था कि वह परियोजना के "सामाजिक-आर्थिक नुकसान" पर विचार कर रही है और 'रामसेतु 'शिपिंग चैनल परियोजना को नुकसान पहुंचाए बिना वैकल्पिक मार्ग तलाशने के लिए तैयार है.