कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का सामान बंगले से बाहर निकाला गया
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के सरकारी बंगले को खाली कराए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कड़ा रुख अपनाया है। चौधरी द्वारा दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है। सुनवाई से इंकार करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि वह अपनी गरिमा का ख्याल रखें और क्या कोई दूसरा आकर कहेगा कि बंगला खाली करिए। गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी चौधरी की याचिका खारिज कर दी थी।
मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने अधीर रंजन चौधरी को अंतरिम राहत देते हुए केंद्र से कहा था कि सुनवाई पूरी होने तक इनका आवास खाली ना कराया जाए। चौधरी के वकीलों का दावा है कि सारे नियमों का पालन किया गया है। ऐसा कहा गया कि चौधरी इतने समय से जन प्रतिनिधि है और उन्होंने कोई नियम कोई नहीं तोड़ा है। जबकि केंद्र की दलील थी कि चौधरी ने सरकारी आवास में रहने के लिए तीन बार अलग अलग तरह की बातें कही हैं जिसके साथ ही आवास में ठहरने की उनकी सारी योग्यता खत्म हो गई है।
'यह कैसा मज़ाक है'
ठीक एक साल पहले कांग्रेस के सत्ता से हटने के कुछ महीने बाद चौधरी को दूसरा बंगला आवंटित किया गया था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए वहां जाने से मना कर दिया कि वहां पहले से ही कोई और रह रहा है। चौधरी ने संवाददाताओं से कहा था 'ये क्या मज़ाक है। मुझे ऐसा बंगला दिया गया है जहां पहले से ही कोई रह रहा है। मैंने कभी नहीं कहा कि यह मेरे पिता की संपत्ति है लेकिन कम से कम रहने लायक घर तो अलॉट कीजिए।'
चौधरी तब और आग बबूला हो उठे जब उनका बिजली का कनेक्शन काट दिया गया। जब यह साफ हुआ कि अधिकारी उनसे बंगला खाली करवाकर ही दम लेंगे तब चौधरी के स्टाफ ने उनका सामान बाहर निकालना शुरू कर दिया। ऐसा करते हुए चौधरी ने कहा 'यह सारा सामान मैं इनके भरोसे छोड़कर जा रहा हूं, अगर कुछ भी चोरी हुई तो उसके जिम्मेदार यह होंगे।' बता दें कि पिछले साल चौधरी को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करके सदन की कार्यवाही में विघ्न डालने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था।
मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने अधीर रंजन चौधरी को अंतरिम राहत देते हुए केंद्र से कहा था कि सुनवाई पूरी होने तक इनका आवास खाली ना कराया जाए। चौधरी के वकीलों का दावा है कि सारे नियमों का पालन किया गया है। ऐसा कहा गया कि चौधरी इतने समय से जन प्रतिनिधि है और उन्होंने कोई नियम कोई नहीं तोड़ा है। जबकि केंद्र की दलील थी कि चौधरी ने सरकारी आवास में रहने के लिए तीन बार अलग अलग तरह की बातें कही हैं जिसके साथ ही आवास में ठहरने की उनकी सारी योग्यता खत्म हो गई है।
'यह कैसा मज़ाक है'
ठीक एक साल पहले कांग्रेस के सत्ता से हटने के कुछ महीने बाद चौधरी को दूसरा बंगला आवंटित किया गया था। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए वहां जाने से मना कर दिया कि वहां पहले से ही कोई और रह रहा है। चौधरी ने संवाददाताओं से कहा था 'ये क्या मज़ाक है। मुझे ऐसा बंगला दिया गया है जहां पहले से ही कोई रह रहा है। मैंने कभी नहीं कहा कि यह मेरे पिता की संपत्ति है लेकिन कम से कम रहने लायक घर तो अलॉट कीजिए।'
चौधरी तब और आग बबूला हो उठे जब उनका बिजली का कनेक्शन काट दिया गया। जब यह साफ हुआ कि अधिकारी उनसे बंगला खाली करवाकर ही दम लेंगे तब चौधरी के स्टाफ ने उनका सामान बाहर निकालना शुरू कर दिया। ऐसा करते हुए चौधरी ने कहा 'यह सारा सामान मैं इनके भरोसे छोड़कर जा रहा हूं, अगर कुछ भी चोरी हुई तो उसके जिम्मेदार यह होंगे।' बता दें कि पिछले साल चौधरी को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करके सदन की कार्यवाही में विघ्न डालने के लिए सस्पेंड कर दिया गया था।
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